कविता

उम्मीदों का पौधा

मुरझाने ना पाये
उसे इतना नमी देना
आशा की किरण
बुझने ना पाया
अय रब हमें
शक्ति भी देना
ख्वाबों के दर पे
जिन्दा हूँ
बंद दरबाजा
मत करना
सपनों की सतरंगी
इन्द्रधनुष का रंग
चक्षु को दर्शन देना
जग भले ही
नफरत करता
हे प्रभु हमें
तुम प्यार देना
उम्मीदों की पौधा
मुरझा ना पाये
इसे इतना
नमी देना
तेरा अनुराग
पाकर जिन्दा हूँ
उसे ना तुम
दरकिनार करना
मेरी हसरत
तुम सदैव ही
प्यार देकर
मदद करना

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088