प्रोत्साहन मिलने से निखरती है प्रतिभाएं
एक अच्छे मनुष्य की यही पहचान है कि वह औरों का हौसला बढ़ाएं और कठिनाई के समय में उनकी मदद करेंl
“बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूरl
पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूरll”
इस दोहे में इस ही बात को बड़े ही सुंदरता से बताया गया हैl जिस प्रकार खजूर का पेड़ होता तो बहुत बड़ा है मगर उसके इसी आकार के कारण ना वह सड़क पर चलते लोगों को छाया दे पाता है और ना ही कोई भूखा खजूर खा कर अपना पेट भर सकता है उसी प्रकार किसी व्यक्ति के धन दौलत का कोई लाभ नहीं है जब तक वह उसे अच्छे कार्यों को करने में नहीं लगाता l
जीवन में प्रंशसा और हौसलाअफजाई का महत्व है। प्रशंसा का एक दिन ऐसा भी है जो दर्शाता है कि यदि जीवन में प्रशंसा होती रहे तो जीवन और अधिक उत्साह और उमंग के साथ जिया जा सकता है। जिंदगी से यदि प्रशंसा को गायब कर दिया जाए तो हर प्रतिभा कुंठित हो जाएगी।ऐसे में यदि किसी ने अच्छा काम किया है तो उसे शाबास कहना न भूलें।
आइए जानते है कि प्रोत्साहन का हमारे जीवन पर क्या असर पड़ता है।
१.प्रशंसा देती है आगे बढ़ने का हौसला:-
जीवन में प्रशंसा हमेशा आगे बढ़ने का हौसला देती है। यदि खुले दिल से कोई प्रशंसा की जाए तो व्यक्ति पहले से बेहतर करने की कोशिश करता है। प्रशंसा बच्चों, व्यक्ति में उत्साह और स्फूर्ति को बढ़ावा देती है। जीवित रहने के लिए सिर्फ रोटी नहीं, बल्कि प्रशंसा और सहानुभूति भी जरूरी है।
२.कार्यशैली में होता है सुधार:-
किसी व्यक्ति या बच्चे को यदि आप उसके बेहतर कार्य करने के लिए प्रोत्साहन देते हैं तो उसकी कार्य क्षमता में वृद्धि होती है। प्रशंसा सकारात्मक प्रेरणा का कार्य करती है।
३.कभी न करें स्वार्थी और झूठी प्रशंसा:-
कई बार लोग दूसरे से अपना कार्य निकलवाने के लिए व्यक्ति विशेष की झूठी प्रशंसा कर देते हैं, जो की सही नहीं होता।ऐसे में व्यक्ति को सच पता चलने पर उसका मनोबल टूटने लगता है।
४.छोटी उपलब्धियों को भी सराहे :-
आमतौर पर लोग बड़ी सफलता पर ही पीठ थपथपाते हैं, जबकि प्रतिदिन किए जाने वाले छोटे छोटे कार्य ही बड़ी सफलता की ओर ले जाते हैं। इसलिए छोटी उपलब्धियों पर भी प्रशंसा करना नहीं भूलना चाहिए।
मनुष्य की उदारता उसकी शब्दों से नहीं बल्कि उसके कार्यों में दिखती हैl एक सच्चा मनुष्य वही है जो अपनी क्षमता के अनुसार पुण्य के कामों में अपना हाथ बटाए व अन्याय को रोकने से पीछे ना हटे l मुश्किल की घड़ी में मनुष्य का सब कुछ ईश्वर पर छोड़ कर खाली हाथ बैठ जाना उसकी समस्या का हल नहीं है l निवारण यह है कि मनुष्य अपनी परिस्थितियों से लड़ता रहे भगवान तो उसे केवल ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं l
चाहे परीक्षाओं का समय हो, खेल की प्रतियोगिता का समय हो, या नौकरी के लिए कोई बड़ा दिन हो प्रोत्साहन एक ऐसी चीज है जो मनुष्य को विश्वास दिलाती है उसकी विजय का l प्रोत्साहित रहना व प्रोत्साहित करना दोनों ही मुश्किलों से लड़ने के लिए एक दोधारी तलवार बन सकते हैं l
हर व्यक्ति के जीवन में कभी ना कभी प्रेरणा की आवश्यकता अवश्य पड़ती है। लगातार विफलताओं के आने पर अक्सर मनुष्य हताश हो जाता है। ऐसी स्थिति में उसे जीवन में आगे बढ़ने के लिए कुछ प्रोत्साहन की आवश्यकता जरूर होती है।
— डॉ. सारिका ठाकुर “जागृति”