कविता

/ परिवर्तन ।

कमी है इस दुनिया में
स्वच्छा हवा, स्वच्छ जल
संतुलित भोजन, सम विचार।
आडंबर, चमक – धमक के मोह में
खो गया है मनुष्य
अपनी असलियत को
स्वपक्ष, विपक्ष की भावना में
एकता की खोज
बाहर की दुनिया में
बड़े जोरों से चलने लगा है
अपने आप को खोजना,
आचरण के आवरण में
आदर्श की वाणी बनना
अधूरी बात बन गयी है
एक ओर आग है,
अन्याय के प्रति आक्रोश है,
दूसरी ओर स्वार्थ का अट्टहास
अधिकार के लिए लालसा
अपना पंख पसारा है
मनुष्य मनुष्य के बीच
असमानता का यह अंतर मिटना,
एक दूसरे को समझकर
भाईचारे का स्वाद लेना
कल्पना का सुंदर आवरण है
सबका जीवन एक जैसा
कभी नहीं चलेगा,
एक जैसा विचार कभी नहीं रहेगा
चुपके से चलना
अपने को छिपाकर बोलना
द्वैत नीति सीख नहीं पाया मैंने
बस, अपने आप में साँस लेना,
जीने का यह तरीका
आज मेरे दरवाजा खटकने लगा है

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), सेट, पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।