/ परिवर्तन ।
कमी है इस दुनिया में
स्वच्छा हवा, स्वच्छ जल
संतुलित भोजन, सम विचार।
आडंबर, चमक – धमक के मोह में
खो गया है मनुष्य
अपनी असलियत को
स्वपक्ष, विपक्ष की भावना में
एकता की खोज
बाहर की दुनिया में
बड़े जोरों से चलने लगा है
अपने आप को खोजना,
आचरण के आवरण में
आदर्श की वाणी बनना
अधूरी बात बन गयी है
एक ओर आग है,
अन्याय के प्रति आक्रोश है,
दूसरी ओर स्वार्थ का अट्टहास
अधिकार के लिए लालसा
अपना पंख पसारा है
मनुष्य मनुष्य के बीच
असमानता का यह अंतर मिटना,
एक दूसरे को समझकर
भाईचारे का स्वाद लेना
कल्पना का सुंदर आवरण है
सबका जीवन एक जैसा
कभी नहीं चलेगा,
एक जैसा विचार कभी नहीं रहेगा
चुपके से चलना
अपने को छिपाकर बोलना
द्वैत नीति सीख नहीं पाया मैंने
बस, अपने आप में साँस लेना,
जीने का यह तरीका
आज मेरे दरवाजा खटकने लगा है