लघुकथा

सच्चा प्रेम

ये रात को हेडक की दवाई खाने के बाद नींद बड़ी अच्छी आती है| इतनी की काम पर जाने के लिए सुबह नींद से जागना बड़ा दुशवार सा लगता है. ये कहते हुए रीमा के पिता रीना को कॉलेज जाने के लिए कहने के लिये उसके कमरे में चले गये कुछ समय पहले ही रीमा की माँ करोना से चल बसी. अब कॉलेज और ऑफिस सब खुल चुके थे
रीमा उनकी बेटी जो कॉलेज में पढ़ने के साथ साथ सौम्य और संस्कारवान थी वो बहुत ही खूबसूरत और पढ़ने में बहुत ही होशियार थी. उसको देखकर उसके कॉलेज के साथी बहुत जलते थे. उसके कॉलेज में रोहन भी पढता था| वो रीमा को दूर से ही  देखकर खुश होता रहता था शायद वो रीमा को पसंद करने लगा था. लेकिन अपने दिल की बात बताने से वो डरता था एक रोहन की माँ बाजार जा रही थी तभी किसी गाड़ी वाले उनको ठोकर मार दी जिससे वो गिर गया. उसी समय रीमा वहाँ से गुजर रही थी उसने उनको लोगों की मदद से हॉस्पिटल लेकर आई और डॉक्टर को दिखाकर उसके बाद वो उनको घर तक छोड़ने आयी| वही रोहन से उसकी मुलाकात हुई रोहन की माँ ने बताया रीमा ही मुझे हॉस्पिटल लेकर गयी थी. रोहन ने बोला ” माँ ये मेरे ही कॉलेज में पढ़ती है. रीमा ये सब गुण देखकर वो उसका दीवाना हो गया. दोनों आपस में मिलने लगी और दोंनो में प्यार हो गया. कॉलेज में दोनों की दोस्ती देखकर कॉलेज के कुछ लोग जलने लगे, उन्होंने एक योजना बनाई. जब रीमा कॉलेज से बाहर निकल रही थी तभी किसी से उसके चहेरे के ऊपर एसिड डाल दिया वो बुरी तरह से जल गई रोहन दौड़ता हुआ आया.
उसको हॉस्पिटल लेकर गया डॉक्टरों ने रीमा के चहेरे की सर्जरी की अब रीमा पहले जैसी नहीँ रही. ये देखकर रीमा पर जैसे पहाड़ टूट गया. वो रोहन से कहने लगी “अब तुम मुझसे शादी नहीं करोगे “और रोने लगी. रोहन कहने लगा “मैने तुम्हारी खूबसूरती को देखकर तुमसे प्यार नहीं तुम्हारे अच्छे गुण देख कर तुमसे प्रेम किया है” मैं तुम्हारे प्रेम में पहाड़ हो जाऊँगा और तुम उस नदी की तरह बह जाना अनंत. तुम्हारा छूटना त्रासदी होगा. पर एक सुख बचा रहेगा कि मुझमें  तुम मुझसे होकर छूटी हो” और वो रीमा को गले लगा लेता है. रोहन की माँ ने भी शादी के लिये हा बोल दिया|
— पूनम गुप्ता

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश