कुछ समय पहले मध्य प्रदेश से पर्यावरण प्रेमियों के लिए बहुत ही अच्छी खबर आई थी कि दो कीटविज्ञान शास्त्रियों ने तितली की एक प्रजाति,एक्सेरसिस ब्लू ढूंढ निकाली है।ख़ास बात ये थी कि इन तितली को लगभग 80 साल पहले विलुप्त घोषित कर दिया गया था। कीट विज्ञान शास्त्रियों.ने बरगी डैम के पास तितली की इस प्रजाति को देखा था। इसके बाद इन दोनों को ये तितली दोबारा जबलपुर के देवताल में देखा गया था ।कीट विज्ञान शास्त्रियों ने दोनों ही स्थानों पर मिली तितलियों को सावधानी से प्रिजर्व की गई है।पश्च्यात इन स्पेसिमेन को फ़्लोरिडा म्यूजियम ऑफ़ नेचुरल हिस्ट्री में रखे संरक्षित स्पेसीमेन्स से इन तितलियों को तुलनात्मक अध्ययन किया जाएगा।दोनों कीट विज्ञान शास्त्रियों ने जो तितलियां इकट्ठा वो पैटर्न ऑफ़ विंग्स, रंग, आकार, एंटीना, साइज़ आदी मापदंडों के आधार पर एक्सेरसिस ब्लू तितली से मिलती-जुलती हैं।.विलुप्त होने से पहले आखिरी बार इन तितलियों को सेन फ़्रैंसिस्को को सनसेट डिस्ट्रिक्ट में देखा गया था.।ख़ास बात ये है कि इससे पहले इस प्रजाति को भारत में नहीं देखा गया। इस तितली को भी भारत में पाई जाने वाली 1500 से ज्यादा तितलियों की सूची में शामिल किया जाएगा। शहरीकरण की वजह से विलुप्त होने वाली पहली तितली एक्सेरसिस ब्लू से उम्मीद है इस बार इंसान इन्हें संरक्षित कर लेंगे।तितलियों के तितली उधान कई स्थानों पर निर्मित है।और कई स्थानों पर बनाए जाने की पहल भी की गई है।नर तितलियों के लिए गर्मी के मौसम में फूलों के बगीचों मे छोटे गढ्ढे बनाकर उसमें पानी भर कर रखने से मड पडलिंग हेतु स्थान बनता है जो मादा तितली के लिए सोडियम एवं अमिनो एसिड इन्ही स्थान से प्राप्त कर नर लाकर मादा तितली के जरिए अंडों को पूर्ण विकसित कर तितलियों की संख्या बढ़ाने में मददगार होता है।किसान भी अपने खेतों के कुछ हिस्से में फूलों के पौधे लगाए ताकि तितलियों को पराग हेतु आहार की प्राप्ति हो सके।तितलियों की संख्या में वृद्धि होने से रंग बिरंगी तितलियों को बच्चे महज किताबों के अलावा वास्तविक रूप से अपने आस पास देख सकें।किसानों के सहयोग,एवं तितली उधान के होने से तितलियां विलुप्त होने से बच सकेगी।
— संजय वर्मा “दृष्टि”