राजनीति

अग्निपथ : दूरदर्शी एवं क्रांतिकारी योजना

रक्षा मंत्रालय द्वारा अग्निपथ योजना की घोषणा के साथ ही बिहार सहित देश के कई राज्यों में इस योजना का हिंसक विरोध प्रारम्भ हो गया जो प्रथम दृष्टया  सुनियोजित और एक बड़े  षड़यंत्र का हिस्सा  प्रतीत हो रहा है, विगत दो तीन सप्ताह से नूपुर शर्मा के बयान को लेकर जिस प्रकार हिंसा की गयी, फिर राहुल गाँधी की प्रवर्तन निदेशालय में पेशी को लेकर कांग्रेस ने हिंसक प्रदर्शन किए वर्तमान अग्निपथ विरोधी हिंसा भी उसी पुस्तक का एक अन्य अध्याय लग रही है। भाजपा और विशेषकर मोदी विरोधी राजनैतिक दल  जिस प्रकार चिड़िया उड़ का खेल खेल रहे हैं तथा छात्रों  को भड़का रहे हैं वह किसी देशद्रोह से कम नहीं है।

वास्तविकता यह है कि अग्निपथ योजना के अंतर्गत जिन अग्निवीरों की भर्ती होगी उनमें से 25 प्रतिशत तो सेना में ही आगे बढ़ जायेंगे जबकि  चार वर्ष बाद वापस आने वालों के लिए अर्ध सैनिक बल, मर्चेंट नेवी, राज्य सुरक्षा बालों के साथ साथ कई सरकारी, अर्ध सरकारी और निजी क्षेत्र में भिन्न भिन्न प्रकार  के अवसर ही अवसर उपलब्ध होंगे । ऐसी स्थिति में आज भले ही राजनैतिक दल निहित स्वार्थवश छात्र समुदाय को भड़का लें लेकिन भविष्य में जब यह योजना धरातल पर उतर आयेगी और जनता को इसका लाभ होता दिखाई पड़ेगा तब परिस्थितियाँ पूरी तरह बदल जाएँगी ।

अग्निपथ एक महात्वाकांक्षी योजना है जिससे हमारा देश मजबूत होगा, संकट के समय देश को अतिरिक्त सैनिक मिल सकेंगे जिस प्रकार से दूसरे देशों  में होता है। आज विश्व  के 30 देशों  में अग्निपथ जैसी योजनाएं  चल रही हैं और सभी देश उसका लाभ उठा रहे हैं। ये  देश अपने रिजर्व सैनिकों के दम पर ही मजबूती के साथ खड़े है। रूस- यूक्रेन युद्ध हो या फिर  इजरायल -फिलीस्तीन सभी युद्धों व संघर्षां में अग्निपथ जैसी योजना  के कारण ही अपनी सीमाओं को सुरक्षित कर पा रहे हैं।

अग्निपथ योजना का विरोध कर रहे लोगों  को आराम से बैठकर यह योजना समझनी चाहिए और युवाओं को इस योजना में भाग लेकर अपना भविष्य संवारने के लिए प्रेरित करना चाहिए। देश  को यह समझना ही होगा कि सरकार यह योजना देश की सेनाओं को युवा, सशक्त, ऊर्जावान व उनको और अधिक आधुनिक बनाने के लिए लेकर आयी है। यह योजना लागू हो जाने के बाद देश के पास ऐसे सैनिक हर समय उपलब्ध रहेंगे जो आवश्यकता  पड़ने पर एक संदेश मिलते ही देश की सेवा के लिए उपलब्ध हो जायेंगे।

अग्निपथ  युवाओं के लिए एक सुनहरा अवसर है क्योंकि चार वर्ष काम करने के  बाद मात्र 21 वर्ष की आयु में उनके पास कौशल, अनुशासन, संयमित जीवन और ज्ञान के साथ इतना पैसा भी होगा कि वो जीवन में आगे के लक्ष्य के लिए किसी पर आश्रित नहीं होंगे। अभी तो इस आयु में या तो वो कोचिंग के चक्कर काटते हैं या कोई भी डिग्री सिर्फ इसलिए ले रहे होते हैं कि शायद इससे नौकरी मिल जाएगी। कुल अग्निवीरों में से 25 प्रतिशत तो सीधे सेना में ही आगे बढ़ जायेंगे शेष के लिए देश के गृह मंत्रालय भारत सरकार, राज्य सरकार अन्यान्य घोषणाएं कर रही हैं । केंद्रीय  गृह मंत्रालय ने अग्निवीरों के लिए सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्सेज और असम राइफल्स में भर्ती के लिए 10 प्रतिशत का आरक्षण  तय कर दिया है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और असम ने अग्निवीरों को सेना की सेवा के उपरांत पुलिस व पुलिस के सहयोगी बलो में प्राथमिकता देने का ऐलान किया है।  कोरोना के कारण दो वर्ष से सेना की भर्तियाँ बाधित थीं अतः अग्निवीर के पहले बैच के लिए अधिकतम उम्र सीमा में भी  छूट मिलेगी। इतना ही नहीं  चार साल बाद शारीरिक और तकनीकी रूप से प्रशिक्षित  अग्निवीरों को लेने की घोषणा निजी क्षेत्र की कई बड़ी कंपनियों ने भी कर दी है। योजना में प्रशिक्षित और अनुशासित अग्निवीर के पास  अन्य युवकों की तुलना में नौकरी पाने के लिए हमेशा  एक बेहतर विकल्प होगा।

अग्निवीर 21 से 24 साल की आयु में ही लगभग 20 लाख की राशि जोड़  सकेंगे जिसमें 7- 8 लाख की बचत होगी और इसमें 12 लाख रूपये केंद्र सरकार देगी। चार साल बाद चार साल में अग्निवीरों के लिए स्नातक और डिग्री कोर्स शुरू होंगे जिनकी देश और विदेश में मान्यता होगी। जरा आप सभी लोग ध्यान लगाकर सेचिए कि 21 से 24 साल के बीच कितने लोगों के पास 12 लाख की पूंजी होती है। कितने युवा मात्र 24 साल में ही एक निश्चित  जीवन यापन करने लग जाते हैं और अपने कैरियर से भी संतुष्ट हो पाते हैं?

अग्निपथ योजना आम भारतीय समाज में  अभूतपूर्व बदलाव लाने में सक्षम  है। सबसे महत्वपूर्ण  प्रत्यक्ष लाभ यह होने जा रहा है कि 10वी 12वी के युवाओं को अपने  लिए उचित  स्किल को पहचानने का अवसर और भारतीय सेना के अनुशासन में रमने का स्वर्णिम अवसर मिल रहा  है। इससे  युवाओं  में आत्मविश्वास व स्वाभिमान बढेगा  वहीं वापस आने पर कम उम्र में उद्यमी बनने का अवसर भी प्राप्त होगा ।

वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए आगामी समय में कोई भी बड़ा संकट या बड़े युद्ध की स्थिति पैदा हो  सकती  और यही कारण है कि भारतीय सेना  कम समय में प्रशिक्षित युवाओं  की एक एक श्रृंखला तैयार कर रही है जो आवश्यकता पड़ने पर आन्तरिक और वाह्य शत्रुओं से मुकाबला कर सकें । इस  योजना के परिणामस्वरूप, लम्बी वैश्विक उथल पुथल और  खिंचते हुए युद्धों के समय में भारत की सेना के पास प्रशिक्षित  व अनुशासित मानव संसाधन उपलब्ध होगा।

अग्निवीर योजना का एक उद्देश्य सशस्त्र बलों की आयु कम करके उसे युवा बनाना भी है  ताकि वे जोखिम लेने की बेहतर क्षमता के साथ हर समय अपने सर्वश्रेष्ठ युद्ध कौशल से लैस रहें । यह युवा वर्ग उन्नत तकनीकी कौशलों  से भी लैस होगा तथा उभरती हुई आधुनिक तकनीकों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने उन्हें अपनाने और उनका उपयोग करने हेतु समाज से युवा प्रतिभाओं को आकर्षित किया जा सकेगा। आज बहुत से युवा ऐसे भी हैं जो थोड़े समय के लिए राष्ट्र की सेवा करने के इच्छुक रहते हैं तथा सेना की कार्यप्रणाली को जानना चाहते हैं ऐसे युवाओं को भी नये अवसर प्राप्त होंगे।

यह योजना सशस्त्र बलों, राष्ट्र, व्यक्ति विशेष  और व्यापक पैमाने पर समाज के लिए बेहतर साबित होगी। बदलती परिस्थितियों के अनुरूप ऊर्जावान, स्वस्थ, विविधतापूर्ण , सशक्त युवाओं व युवतियों के साथ परिवर्तनकारी विकास के द्वारा युद्ध की बेहतर तैयारी की जा सकेगी। अग्निवीर युवाओं को सशस्त्र बलों में शामिल होने और राष्ट्र की सेवा करने का अवसर मिलेगा। इस योजना से सशस्त्र बालों की संचालनात्मक प्रभावकरिता बढ़ेगी एक युवा छवि जोकि कम घबराहट के साथ लड़ाई के मैदान मे उतरने की दृष्टि से अधिक योग्य होता है । इसमें यह सुनिश्चित किया जायेगा कि अग्निवीर उच्चतम पेशेवर मानकों  पर खरे उतरें।

इस योजना का उद्देश्य  राष्ट्र के व्यापक प्रतिभा वाले मानव संसाधन  भंडार का दोहन करना और सशस्त्र बलों में कैरियर के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा का चयन करना है। इस योजना की शुरूआत के साथ सशस्त्र बलों  में चयन के वर्तमान प्रारूप को नहीं बदला जा रहा है। बदलाव केवल सेवा के नियम और शर्तों के साथ किया जा रहा है।

युवाओ को इस महत्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी योजना को लेकर  वह देशविरोधी ताकतों के बहकावे में नहीं आना चाहिए। इससे न कोई बेरोजगारी बढ़ेगी  और ना कुछ और होगा। इस प्रकार की  योजना इजराइल मे भी लागू है और जापान में भी । सबसे बड़ी बात यह है कि आज इजराइल जैसा एक छोटा सा देश जो चारों  ओर शत्रुओें से घिरा रहता है आज पूरी तरह सुरक्षित और मजबूत है तथा वहां पर बेरोजगारी भी नहीं है। हम लोग इजराइल, जापान और अमेरिका की बात तो करते हैं  लेकिन अपने देश में  इन देशों  की अच्छाईयों को लागू नहीं कर पाते।

अग्निपथ योजना का विरोध देश के खिलाफ एक युद्ध जैसा ही है। जो लोग अभी तक सेना का विरोध करते रहे हैं , जो लोग सेना की ओर से जब सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांग रहे थे और पूर्व थलसेना प्रमुख तथा सीडीएस स्वर्गीय जनरल विपिन रावत को गली का गुंडा तक कह रहे थे वही लोग आज अग्निपथ का विरोध कर हैं। अग्निपथ के विरोधी देशविरोधी हैं तथा आज जो लोग विरोध के अधिकार के नाम पर हिंसक हो रहे हैं ट्रेने जला रहे हैं, बसों पर पथराव कर रहे है, थानों व पुलिस चौकियों पर हमला कर रहे हैं क्या  यह लोग देशभक्त हो सकते हैं, या सेना में जाने योग्य हो सकते हैं, कदापि  नहीं। ऐसे लोगों के प्रति कतई सहानुभूति दिखाने की अब कोई आवश्यकता  नहीं रह गयी है।कुछ लोग तो ऐसे हैं कि अगर इस योजना का नाम दस जनपथ होता तो आज जो लोग विरोध  कर रहे हैं वही लोग यह योजना बहुत अच्छी बताते।

अब सरकार व सेना को तत्परता के साथ इस  योजना को लागू करना चाहिए क्योकि हर शुभकाम में बाधा तो आती ही है। अग्निवीर योजना एक प्रकार से भारतीय हिंदू दृष्टि से उत्पन्न एक विरल सृष्टि है जिसके कारण वामपंथी, नक्सलवादी, अराजकतवादी, आंदोलनजीवी संगठन बौखला गये हैं क्योंकियह लोग कतई नहीं चाहते कि भारत एक मजबूत राष्ट्र बनकर  उभरे और यहां की सेना मजबूत हो, युवा मजबूत और आत्मनिर्भर हों। अग्निपथ जैसी योजना की आवश्यकता  कारगिल युद्ध के समय महसूस की गयी थी जब अटल बिहारी बाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे तब उन्होंने कारगिल युद्ध के बाद एक कमेटी बनाई थी जिसमें अग्निपथ जैसी योजना  का विचार भी सामने आया था। अब यह योजना अपना मूर्तरूप ले रही है लेकिन लगता अभी योजना को कई अग्निपरीक्षाओं  से गुजरना भी है क्योकि योजना का नाम ही अग्निपथ है।

सुखद है कि इन पंक्तियों के लिखे जाने के समय ही सेना के तीनों अंगों ने साझा प्रेस वार्ता करके घोषणा कर दी है कि ये योजना वापस नहीं ली जाएगी और जो लोग भी हिंसात्मक प्रदर्शनों में लिप्त थे उनके लिए सेना के द्वार सदा के लिए बंद हो जायेंगे. तीनों बलों ने अपने अपने भर्ती कार्यक्रम की घोषणा भी आज की प्रेस कांफ्रेंस में कर दी है.

— मृत्युंजय दीक्षित