मोहपाश
कच्ची कचनार सी सुंदर और नाजुक महक बारहवीं पास करते ही काॅलेज जाने के लिए उतावली हो रही थी। जवानी का पहला पायदान अक्सर फिसलन वाला होता है, इसलिए महक की मम्मी सोनल को बेटी की बहुत चिंता रहती। जवान ऊपर से बेहद खूबसूरत और ज़माने की नीयत तो जानते ही है। सोनल हमेशा एक डर से घिरी रहती, कैसे बेटी को काॅलेज भेजूँ, कहीं कोई ऊँच नीच हो गई तो? पर बेटी को पढ़ाना भी जरूरी था, बेमन से काॅलेज में एडमिशन करवाया।
पहले ही दिन महक की खूबसूरती कितने भँवरों को बेकल कर गई। एक लड़का निखिल मल्होत्रा महक की खूबसूरती के मोहपाश में ऐसे बँध गया कि बावरे का दिल ज़िद्द पर उतर आया, कुछ भी करके महक को पाना है और ऐसी मानसिकता के शिकार लड़के सच में किसी भी हद तक जा सकते है। पर महक मरती थी निशांत आहूजा पर, जो काॅलेज का हीरो था हर लिहाज से परफ़ेक्ट। पढ़ाई में, स्पोर्ट्स में और दिखने में बस लाजवाब। आहिस्ता-आहिस्ता महक की दोस्ती निशांत से हो गई जिसे देख निखिल के तन बदन में आग लग गई।
एक दिन बीच बाज़ार महक का रास्ता काटते महक को धमकाने लगा, सुन महक अगर तू मेरी नहीं हुई, तो किसी ओर की भी होने नहीं दूँगा, सोच ले दिलों जान से तुझे चाहता हूँ, आज आख़री वार्निंग दे रहा हूँ आगे से तुझे निशांत के साथ देखा तो मुझे भी नहीं पता मैं क्या कर डालूँगा। इसे सिर्फ़ धमकी मत समझना कर दिखाऊँगा, चलता हूँ जय रामजी की बोलकर निकल गया। महक ने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया चल चल निकल बहुत देखे तेरे जैसे कहकर आगे बढ़ गई।
पर कहते है न दिलजला पूरी दुनिया जला देता है। महक और निशांत अपनी मस्ती में एक दूसरे के प्यार में खोकर दुनिया भूल चुके थे जो निखिल को नागवारा था। एक दिन महक और निशांत काॅलेज केंटीन से बाहर निकल रहे थे कि निखिल ने महक को एक हाथ से गरदन से दबोच लिया और दूसरे हाथ से जेब से छुरी निकालकर महक की गरदन पर रखकर बोला, मना किया था न तुझे की निशांत से नहीं मिलेगी, तू मेरी अमानत है समझी बोल I love u वरना काट डालूँगा। महक घबराकर रोने लगी काॅलेज के वाॅचमैन ने पीछे से जाकर निखिल को पकड़ लिया, निशांत ने निखिल के हाथ से छुरी हड़प ली और पुलिस को फोन कर दिया। थोड़ी देर में पुलिस आकर निखिल को पकड़ कर ले गई, पर महक की मोहपाश का कैदी जाते-जाते भी धमकी दे गया। फांसी भी हो गई तो भी तुझे नहीं छोडूँगा। भूत बनकर आऊँगा याद रखना तू सिर्फ़ मेरी है समझी।
निखिल को काॅलेज से रस्टिगेट कर दिया गया, उनके पिता ने घर और जायदाद से बेदखल कर दिया और अब जब तक केस चलेगा पुलिस की हिरासत में रहेगा वो अलग। एकतरफ़ा प्यार का शिकार निखिल खुद का तो अहित कर बैठा साथ में अपने माँ-बाप के संस्कारों को भी लज्जित किया और एक लड़की की इज्जत का भी सरेआम तमाशा बना दिया। किसी के प्रति इतना मोह भी अच्छा नहीं जिसके पाश से छूट पाना मुश्किल हो। निखिल ने इतनी बदतमीज़ी की फिर भी महक के घरवालों ने शिकायत वापस लेकर निखिल को ये सोचकर छुड़वाया कि किसी का जवान बेटा है, पुलिस और जेल के चक्कर में एक नौजवान की ज़िंदगी खराब हो जाएगी। और महक के पिता ने निखिल को पास बिठाकर समझाया कि देखो बेटा हम तो पढ़े लिखे समझदार लोग हैं, इसलिए तुम्हें गुमनामी के रास्ते पर जाने से रोक लिया। पर हर कोई महक के माँ-बाप नहीं होते अबकी बार कोई कांड करोगे तो सीधा चक्की पिसोगे। अपना भविष्य सुधारने में ध्यान दो और अपने माँ बाप का सहारा बनों।
प्रेम को प्रेम से जीता जाता है, न कि जबरदस्ती या डरा धमकाकर। प्रेम देने का नाम है छीनने का नहीं। इस तरह का पागलपन प्रेम नहीं महज़ वासना या आकर्षक होता है जो सिर्फ़ बर्बादी की तरफ़ ले जाता है। किसीसे प्यार है तो प्यार से इज़हार करो और सामने वाला मना कर दे तो उसके रास्ते से हट जाओ, उसमें ही आपके संस्कारों की गरिमा है।
निखिल शर्मिंदा होते माफ़ी मांगते बोला आप सही कह रहे है अंकल आज के बाद महक के रास्ते में कभी नहीं आऊँगा और एक भाई की नज़रों से देखूँगा। और नम आँखों से महक के सर पर हाथ रखकर खुश रहो कहकर चला गया।
— भावना ठाकर ‘भावु’