वास्तुशास्त्र में रंगों का महत्व
रंग हज़ारों वर्षों से हमारे जीवन में अपनी जगह बनाए हुए हैं। यहाँ आजकल कृत्रिम रंगों का उपयोग जोरों पर है वहीं प्रारंभ में लोग प्राकृतिक रंगों को ही उपयोग में लाते थे। उल्लेखनीय है कि मोहनजोदड़ो और हड़प्पा की खुदाई में सिंधु घाटी सभ्यता की जो चीजें मिलीं उनमें ऐसे बर्तन और मूर्तियाँ भी थीं, जिन पर रंगाई की गई थी। उनमें एक लाल रंग के कपड़े का टुकड़ा भी मिला। विशेषज्ञों के अनुसार इस पर मजीठ या मजिष्ठा की जड़ से तैयार किया गया रंग चढ़ाया गया था। इसी तरह हजारों वर्षों तक मजीठ की जड़ और बक्कम वृक्ष की छाल लाल रंग का मुख्य स्रोत थी। पीला रंग और सिंदूर हल्दी से प्राप्त होता था। होली के रंग पलास आदि के फूलों से तैयार किये जाते थे। इस तरह रंगों प्राप्ति प्राकृतिक वस्तुओं से प्राप्त की जाती रही है।
वास्तु विज्ञान में ध्वनियों तथा रंगों का स्थान अत्यधिक महत्वपूर्ण है। रंग और ध्वनि इस प्रकार की ऊर्जाएं हैं, जिन्होंने प्रकृति और वातावरण के माध्यम से हमें घेर रखा है। शुभ रंग भाग्योदय कारक होते हैं। वास्तु विज्ञान में विभिन्न रंगों को वास्तुशास्त्र के तत्त्वों का प्रतीक माना जाता है। जैसे नीला रंग जल का, भूरा पृथ्वी का और लाल अग्नि का प्रतीक है। रंगों को पंचभूत तत्त्वों जल, अग्नि, धातु, पृथ्वी और काष्ठ से जोड़ा गया है।
वास्तु के अनुसार घर में रंगों का महत्वपूर्ण स्थान है। अतः घर के लिए सही वास्तु रंग चुनना चाहिए।
वास्तु के अनुसार रसोई घर का रंग
वास्तु के अनुसार दक्षिण-पूर्व दिशा रसोई घर के लिए उत्तम है, इसलिए किचन की दीवारों का रंग संतरी या लाल होना चाहिए। किचन आग का प्रतिनिधित्व करता है। लिहाजा गहरे रंग अच्छे रहेंगे। आप पीला रंग चुन सकते हैं। गहरे रंग जैसे गुलाबी प्रेम और गर्मजोशी को दर्शाते हैं जबकि भूरा रंग भी किचन के लिए ठीक है, क्योंकि यह संतुष्टि को दर्शाता है। अगर किचन कैबिनेट्स हैं तो लेमन यलो, संतरी रंग अच्छे रहेंगे क्योंकि ये ताजगी, स्वास्थ्य और सकारात्मकता को दिखाते हैं। फर्श के लिए, मोज़ेक, संगमरमर या सिरेमिक टाइलें चुनें। हल्के रंग – बेज, सफेद या हल्का भूरा फर्श के लिए अच्छे होते हैं। वास्तु की सिफारिशों के अनुसार, रसोई के स्लैब प्राकृतिक रूप से उपलब्ध पत्थरों में सबसे अच्छे हैं, जिनमें ग्रेनाइट या क्वार्ट्ज शामिल हैं। नारंगी, पीले और हरे रंग रसोई के काउंटरटॉप्स के लिए अच्छा काम करते हैं। किचन में रंग ज्यादा गहरा नहीं होना चाहिए। गहरे भूरे, भूरे और काले रंग से बचें। रसोई में नीले रंग से बचना चाहिए, क्योंकि नीला पानी के देवता वरुण का प्रतिनिधित्व करता है। रसोई एक ऐसा क्षेत्र है जहां आग राज करती है।
बेडरूम का कलर-
गेस्ट रूम/ड्राइंग रूम-
बच्चों का कमरा-
बाथरूम-
हॉल-
पूजा घर-
वास्तु शास्त्र के मुताबिक, पूजा घर का मुंह नॉर्थ ईस्ट की दिशा में होना चाहिए, ताकि सूर्य के अधिकतम प्रकाश का दोहन किया जा सके। पीला आपके घर के इस हिस्से के लिए सबसे उपयुक्त रंग है, क्योंकि इससे इस प्रक्रिया में आसानी होगी। इस जगह को अपने घर का शांत क्षेत्र बनाने के लिए आपको इस क्षेत्र में गहरे रंगों से भी बचना चाहिए। आप सफेद और क्रीम रंग या नारंगी भी जोड़ सकते हैं, क्योंकि यह ऊर्जा का उत्सर्जन करता है।
स्टडी रूम-
अगर आपका ऑफिस-होम है तो वास्तु के मुताबिक ग्रीन, ब्लू, क्रीम और वाइट जैसे रंगों का इस्तेमाल करें। लाइट कलर्स से कमरा बड़ा सा लगता है। गहरे रंगों से बचें, क्योंकि इससे जगह में उदासीनता बढ़ती है। होम ऑफिस के लिए सोने, पीले, भूरे और हरे रंग के हल्के रंग, एक स्थिर कामकाजी माहौल सुनिश्चित करते हैं और उत्पादकता बढ़ाते हैं।
बालकनी/बरामदा-
वास्तु के मुताबिक, बालकनी नॉर्थ या ईस्ट डायरेक्शन में होनी चाहिए। बालकनी में ब्लू, क्रीम और ग्रीन व पिंक के हल्के शेड्स कराएं। यही वो जगह होती है, जहां से लोग बाहरी दुनिया से कनेक्ट होते हैं। इसलिए गहरे रंगों से बचना चाहिए।
गैरेज-
वास्तु के मुताबिक, गैरेज नॉर्थ वेस्ट दिशा में होना चाहिए। इसमें आप सफेद, पीला, ब्लू या कोई और लाइट शेड करा सकते हैं।
घर के बाहर का कलर-
वास्तु के मुताबिक कैसी हो फ्लोरिंग
ये रंग भूलकर भी न कराएं-
वास्तु अनुसार लाइट रंग हमेशा अच्छे होते हैं। डार्क रंग जैसे लाल, ब्राउन, ग्रे और काला हर किसी को सूट नहीं आता। ये रंग अग्नि ग्रहों जैसे राहू, शनि, मंगल और सूर्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। लाल, गहरा पीला और काले रंग से परहेज करना चाहिए। आमतौर पर इन रंगों की तीव्रता काफी ज्यादा होती है। ये रंग आपके घर के एनर्जी पैटर्न को डिस्टर्ब कर सकते हैं।
— डॉ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’