गीतिका/ग़ज़ल

गजल

हर कदम पर साथ मेरा पाओगे
तुम कभी खुद को न तन्हा पाओगे
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खुद में ही उलझे रहोगे तो भला
मसअले फिर कैसे सुलझा पाओगे
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पंख अरमानों के खोलोगे तभी
आसमां को पास आता पाओगे
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देखना चाहो तो दुनिया देखलो
दोस्त कोई भी न मुझसा पाओगे
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गर बनाओगे घरौंदा रेत पर
तो उसे पानी में बहता पाओगे
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खुद बुझाओगे चराग़ों को अगर
तो अँधेरों के सिवा क्या पाओगे
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कद भले माँ बाप से ऊँचा हुआ
तुम सदा खुद को ही छोटा पाओगे
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ये रमा हर शाम का है फ़लसफ़ा
एक सूरज रोज ढलता पाओगे

रमा वर्मा

श्रीमती रमा वर्मा श्री प्रवीर वर्मा प्लाट नं. 13, आशीर्वाद नगर हुड्केश्वर रोड , रेखानील काम्प्लेक्स के पास नागपुर - 24 (महाराष्ट्र) दूरभाष – ७६२०७५२६०३