आओ रिश्तों की खुशबू में नहाएं
सृष्टि रचना कर्ता ने सृष्टि में मानवीय प्राणी की रचना कर उसके जीवन में अनेकों खूबसूरत श्रेष्ठ गुणों की खान को भी उसकी उम्र रूपी जीवन में संलग्न कर दिया है ताकि अपनी कुछाग्र बुद्धि के बल पर उसका उपयोग कर सकें, जिसने नहीं किया उसका जीवन नीरसता से भरता है। जिसने उपयोग किया वह खुशियों की खुशबू में नहलाता है और हंसते हंसते अपना जीवन व्यतीत कर लेता है।
मानवीय जीवन में ऐसे अनेकों गुणों का पिटारा भरा हुआ है, उन गुणों की रत्नों रूपी एक ख़ूबसूरत माला है आज हम खूबसूरत मानवीय रिश्ता रूपी रत्न पर इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा कर रिश्तो में प्रगाढ़यता रखकर रिश्तो की खुशबू में नहलाने का संज्ञान लेने की कोशिश करेंगे।
बात अगर हम रिश्तो की करें तो, शिशु जन्म के साथ ही अनेक रिश्तों के बंधन में बंध जाता है और माँ-पिता,भाई-बहन, दादा-दादी, नाना-नानी जैसेअनेक रिश्तों को जिवंत करता है। रिश्तों के ताने-बाने से ही परिवार का निर्माण होता है। कई परिवार मिलकर समाज बनाते हैं और अनेक समाज सुमधुर रिश्तों की परंपरा को आगे बढाते हुए देश का आगाज करते हैं। सभी रिश्तों का आधार संवेदना होता है, अर्थात सम और वेदना का यानि की सुख-दुख का मिलाजुला रूप जो प्रत्येक मानव को धूप – छाँव की भावनाओं से सराबोर कर देते हैं। रक्त सम्बंधी रिश्ते तो जन्म लेते ही मनुष्य के साथ स्वतः ही जुङ जाते हैं। परन्तु कुछ रिश्ते समय के साथ अपने अस्तित्व का एहसास कराते हैं। दोस्त हो या पङौसी, सहपाठी हो या सहर्कमी तो कहीं गुरू-शिष्य का रिश्ता। रिश्तों की सरिता में सभी भावनाओं और आपसी प्रेम की धारा में बहते हैं। अपनेपन की यही धारा इंसान के जीवन को सबल और यथार्त बनाती है, वरना अकेले इंसान का जीवित रहना भी संभव नही है। सुमधुर रिश्ते ही इंसानियत के रिश्ते का शंखनाद करते हैं।
बात अगर हम भावनात्मक रिश्तों की करें तो, रिश्ते मानवीय भावनाओं का प्रतीक होते है। एक ओर जहां हमारे जीवन में कुछ रिश्ते खून के होते है वही कुछ रिश्ते भावनाओं से बने होते है जो कभी-कभी खून के रिश्तों से भी ज्यादे महत्वपूर्ण होते है। रिश्तों के बिना मनुष्य का जीवन अधूरा हो जायेगा वास्तव में रिश्तों का कोई दायरा नही होता।एक रिश्ता प्रेम तथा विश्वास पर आधारित होता है, जिसे हम अपने कार्यों द्वारा सींचते है। यदि हम किसी अपरिचित व्यक्ति से अच्छा व्यवहार करेंगे तो उसे भी हम अपना दोस्त बना सकते है और अपने रिश्तों को उससे प्रगाढ़ कर सकते है और इसके विपरीत यदि हम अपने स्वजनों से भी कटु व्यवहार करेंगे तो हमारे रिश्ते उनसे भी खराब हो जायेगें। इसी वजह से रिश्तों को प्रगाढ़ बनाये रखने के लिए हमें जिम्मेदारी पूर्वक उनका निर्वहन करना चाहिए।
बात अगर हम व्यस्त जिंदगी में रिश्तो में आई कमी की करें तो, आजकल की व्यस्त जिंदगी में लोगों के पास समय कम है। इसके कारण रिश्तों की गर्मजोशी भी कम होती जा रही है। लोग आजकल अपने आपमें इतने मशगूल रहते हैं कि उन्हें आसपास अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों तक का एहसास नहीं रहता। ऐसे में आपसी रिश्तों में फिर से जज़्बे के साथ मजबूती के लिए निम्न बातों के लिए अपने आपको ढालना जरूरी है। (1) अकसर हम व्यस्तता के कारण पारिवारिक जिंदगी को प्राथमिकता देना बंद कर देते हैं जो कलह पैदा करती है। अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों पर बराबर ध्यान दें। अपने बच्चों की पढ़ाई व घर की जरूरतों पर निगाह रखें। (2) किसी भी रिश्ते को विश्वास मजबूत आधार देता है। अगर आपकी अपने साथी से बेहतर बन नहीं रही, तो कहीं न कहीं इसके पीछे विश्वास का कम होना भी है। अपने पार्टनर के प्रति विश्वास पक्का करें। कभी-कभी लगता है कि साथी के स्वभाव में बदलाव हो रहा है, लेकिन यह महज परिस्थितवश भी हो सकता है। (3) हर आदमी के स्वभाव में भिन्नता होती है। उसकी यह भिन्नता उसे दूसरों से अलग पहचान प्रदान करती है। ऐसे में कभी-कभी कुछ चीजों के नजरिए को लेकर आपस में विरोधाभास की स्थिति बन जाती है। अपने साथी के ऐसे विशिष्ट गुण को पहचानने की कोशिश करें। (4) रिश्ते में बनाएं रखें विनम्रता- चाणक्य कहते हैं कि वाणी में मधुरता और व्यक्तित्व में विनम्रता होनी चाहिए। रिश्तों में मजबूती लाने के लिए वाणी में मधुरता जरूरी है। मधुर वाणी से व्यक्ति को समाज में सम्मान मिलता है। (5) घमंड व्यक्ति के रिश्तों को खराब कर देता है। जिसके कारण संबंध भी टूटने लगते हैं। चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को कभी अहंकार नहीं करना चाहिए। (6)- रिश्तों में गरिमा बनाए रखना जरूरी होता है। जब रिश्ते में एक-दूसरे के प्रति सम्मान होता है, तो रिश्ते मजबूत होते हैं। जो व्यक्ति एक-दूसरे को नीचा दिखाने की प्रवृत्ति रखते हैं, उनके रिश्ते ज्यादा दिनों तक नहीं टिकते हैं। (7) किसी भी व्यक्ति के लिए हर व्यक्ति को खुश रख पाना मुश्किल होता है। चाणक्य के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति छल-कपट का सहारा लेता है तो, उसके रिश्ते ज्यादा समय तक टिके नहीं रहते हैं। चाणक्य कहते हैं कि रिश्ते की नींव प्रेम और विश्वास पर टिका होता हैं। (8) अच्छाइयों का करें बार-बार जिक्र अक्सर ऐसा होता है कि रिश्ते में एक वक्त के बाद हम एक-दूसरे के बुरे पहलुओं पर ही ध्यान देते हैं। बुराइयों पर ध्यान देने के बजाय अगले की अच्छी आदतों पर ध्यान दें। (9) रिश्ते की मजबूती के लिए जरूरी है कि आप दोनों अपनी गलतियों को स्वीकारें और बिना किसी झिझक के माफी मांग लें,अपनी गलती स्वीकार कर लेने से कोई छोटा या बड़ा नहीं हो जाता है लेकिन रिश्ता जरूर मजबूत हो जाता है। हम कोशिश करें कि गलतियां न दोहराएं और अगर कभी कुछ गलत हो जाए तो खुलकर गलती स्वीकार कर लें।
बात अगर हम रिश्तो में मधुर वाणी और प्रिय वचन बोलकर खुशबू बिखेरने की करें तो,
वाणी रसवती यस्य,यस्य श्रमवती क्रिया।
लक्ष्मी : दानवती यस्य,सफलं तस्य जीवितं।।
अर्थ — जिस मनुष्य की वाणी मीठी हो, जिसका काम परिश्रम से भरा हो, जिसका धन दान करने में प्रयुक्त हो, उसका जीवन सफ़ल है।
प्रियवाक्य प्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः।
तस्मात तदैव वक्तव्यम वचने का दरिद्रता।।
अर्थ — प्रिय वाक्य बोलने से सभी जीव संतुष्ट हो जाते हैं, अतः प्रिय वचन ही बोलने चाहिए। ऐसे वचन बोलने में कंजूसी कैसी।
यस्य वाङ्मनसी शुद्धे सम्यग्गुप्ते च सर्वदा |
स वै सर्वमवाप्नोति वेदान्तोपगतं फलम् ||
अर्थात – जिस मनुष्य की वाणी और मन बहुत ही निर्मल एवं नियंत्रित होने के कारण सुरक्षित रहते हैं, वही अवश्यमेव श्रुति वाक्यों में वर्णित आत्मकल्याण रूप परम फल को प्राप्त करता है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि आओ रिश्तो की खुशबू में नहाएं दिल के रिश्ते तोड़ने से भी नहीं टूटते दिमाग के रिश्ते जोड़ने से भी नहीं जुड़ते,रिश्तों में प्रगाढ़यता रखना सफ़ल जीवन जीने की कला है।
— किशन सनमुखदास भावनानी