मुक्तक
तीर्थ स्थल में या मंदिर मेंजो अश्लीलता दिखाएगा
वह असभ्य अपने कर्मों का तुरत वहीं फल पाएगा
संस्कार मर्यादा भूले झूल रहे हैं कामुक झूले
दुर्गंधित करते समाज को समय सबक सिखलाएगा
— डॉ./इं. मनोज श्रीवास्तव
तीर्थ स्थल में या मंदिर मेंजो अश्लीलता दिखाएगा
वह असभ्य अपने कर्मों का तुरत वहीं फल पाएगा
संस्कार मर्यादा भूले झूल रहे हैं कामुक झूले
दुर्गंधित करते समाज को समय सबक सिखलाएगा
— डॉ./इं. मनोज श्रीवास्तव