मुक्तक/दोहा

मुक्तक

जिहादियों के समर्थन में जो भी खड़ा हो,
क़ानून का शिकंजा पहले उस पर कसा हो।
भाईचारे की बातें बस दिखावा, खोखली होती,
हिन्द में हिन्दुत्व परचम, बस मानव बसा हो।
हिन्द में हिन्दुत्व की अब बात हो,
इस्लाम का इतिहास भी ज्ञात हो।
सबका साथ विश्वास अच्छा लगे,
हिन्दू के साथ न कहीं भी घात हो।
कब तलक तुष्टिकरण करते रहोगे,
यूँ दरिन्दों की हिफ़ाज़त करते रहोगे?
एक राष्ट्र अलग क़ानून कब तक सहें,
कब तलक हमको ही चुप करते रहोगे?
जेहादियों के विरोध में कौन बोला,
मानवता का कत्ल किसने मुँह खोला?
मोबलिंचिंग बताकर तूफ़ां मचाने वाले,
न्याय का बना दिया मिलकर झमेला।
— अ कीर्ति वर्द्धन