मेरी राहें
मुझे विश्वास है मुझे आस हैं, मिलेंगी मंजिल मेरी जरुर एक दिन ।
करुॅ॑गा मेहनत दिन-रात,मैं चाहे रात कटे मेरें तारें गिन-गिन।।
मुसाफिर हूॅ॑ मैं राहगीरों का ,बस यही आस में निकलता हूॅ॑ ।
चाहें कुछ मिलें या न मिलें ,बस अपना काम मैं करता हूॅ॑।।
आगे बढ़ना संकटों से लड़ना, मन में है पुरा विश्वास।
जरुर मिलेंगी लहरों को साहिल ,बस यही हैं मेरी आस ।।
आशा की किरण जागे मन में, कर देंगें प्रकाश वान ।
मिलेंगी सफलता एक दिन ,बस कर्म हैं यहाॅ॑ प्रधान ।।
आज नही तो कल चमकेगें , बने के हम फूल चमन में।
होगें कामयाब हम जरुर, खिलेगें एक रोज हम भी उपवन में।।
— डोमेन्द्र नेताम (डोमू )