घटा घनघोर
छा गायघाता घनघोर
देख देख नाचे मन मोर
धरती की है गंध प्यारी
महकेगी बगिआ महकारी
पंछी भी मचाएंगे शोर
देख देख नाचे मन मोर
बिजली की कौंध देख
धड़केगी ह्रदय की रेख
मचल उठेगा मन मोर
छा गायघाता घनघोर
नन्हें बच्चों की किलकारी
वर्षा में लगती है प्यारी
मन में उठेगी हिलोर
छा गायघाता घनघोर
— डा. केवलकृष्ण पाठक