रात और दिन
रात है एक खिड़की
दिन है दरवाजा
रात में पसरा है अंधेरा
तो दिन में प्रकाश का है समागम
थक कर सो जाना है रात को
नयी ऊर्जा का संचार हो दिन को
निराशा का प्रतीक है रात
आशा का प्रतिबिंब है दिन
रात से ही है दिन का अस्तित्व
दिन से रात का संसार
एक दूजे बिन अधूरे है दिन -रात
दिन -रात का चक्र ही
है जीवन का चक्र…।।
— विभा कुमारी “नीरजा “