कैसा तेरा न्याय
भगवान किस गुनाह की तुम
दे रहे हो हमें ये सजा
गर सच्चाई पे चलना पाप है
तो हुई है हमसे यह बड़ी खता
तेरे विधान में क्यूँ लिख दिया है
तेरी ऐसी गलत कई एक दफा
भलाई करना अगर पाप है
तो हुई है हमसे यह बड़ी खता
तेरी नजरों में नेकी अगर है जफा
नेकी ही तो किया है जग में मैंनें
फिर क्यूँ है तुम हम पे ऐसी खफा
नेकी गर गुनाह है तो लगा दो दफा
भगवान तेरी अदालत में ये कैसी प्रथा
जग में न्याय कर्त्ता है तूँ फिर तुँ बता
क्यों बेगाने सा करता है जग में सजा
कौन सी बात पे हो गया मैं दोषी बता
— उदय किशोर साह