क्षणिका क्षणिकाएं *ब्रजेश गुप्ता 11/07/2022 नदियां सैलाबों से लबालब हैं इंसान भावनाओं के सैलाब से कब लबालब होगा वहां तो भावनाओं के सैलाबों का सूखा पड़ा है