घाटियों में दर्द ए मंजर , हर वक्त फैला खतरा
घाटियां जो कि बहुत ही रमणीय स्थान होती हैं और हर देश की घाटियां प्राकृतिक सौंदर्य से भरी हुई अपनी और लोगों को आकर्षित करती ही रहती है । पर्यटन स्थल की दृष्टि से घाटियॉं सर्वोत्तम स्थल मानी जाती पर्यटन के लिए । प्राकृतिक शुद्ध हवाओं कि भरमार , विभिन्न औषधियों से भरी घाटियों में जलवायु क्षेत्र भी इतना शीतलता प्रदान करता है कि गर्मी का महीना हो या हिमगिरि का लोग इस रमणीक स्थलों के दीवाने होकर समस्त परिवार के साथ सुखद पल बिताने के लिए हर साल चले ही जाते हैं हर साल हजारों सैलानियों के आने से घाटियों में रोनक से आ जाती है और यह रोनक अधिकतर बारह महीने ही बनी रहती है घाटियां जितनी सुंदर और रमणीक स्थल होते हैं उतने ही घाटियों के हर एक स्थल खतरों से भरे रहते हैं , चहू ओर घाटियों से गिरे चाहे कश्मीर , गुलमर्ग, अमरनाथ यात्रा, बद्रीनाथ आदि विभिन्न प्रकार के स्थान हैं जो कि अपने सौंदर्य के लिए अपने देश भारत में ही नहीं अपितु विदेशों में भी जाने जाते हैं विदेशी सैलानी भी इस ओर खींचे चले आते हैं लुफ्त और आनंद उठाने के लिए । ऊंची ऊंची पहाड़ियां ढलते सूर्य का दर्शन , उगते सूर्य का दर्शन , ऊंचे ऊंचे पेड़, हिमवर्षा आदि यह सब एक साथ अगर देखने को कहीं मिल जाए तो वह है सिर्फ घाटियां ही होती हैं और इन्हीं घाटियों को देश का गौरव भरा स्वर्ग भी बताया जाता है । घाटी वाले स्थल जितने रमणीक होते हैं उतने ही यह खतरे के निशान पर भी होती है पहाड़ों की चोटियों पर ही बने आड़े टेढ़े रास्ते और नीचे गहरी-गहरी खाईयां , जिसके कारण सदैव इन मोड़ों पर खतरा बना रहता है साथ ही घाटियों के क्षेत्रों में कभी भी मूसलाधार बारिश शुरू हो जाती है जिसके कारण यहां की मिट्टी में सदैव नमी बनी रहती है इस नमी के चलते ही कभी भी यहां पर मिट्टी में कटाव आ जाता है और मिट्टी आद्रता से भरी होने के कारण ढह जाती है जिसके कारण कई बार ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों की मिट्टी पत्थर भी यहां तक कि नीचे रास्ते पर आकर गिर जाते हैं रास्ते तो क्षति ग्रस्त होते ही होते हैं साथ ही कई बार इनकी चपेट में बहुत से लोग आ जाते हैं जिससे एक बड़ा हादसा भी हो जाता है कई बार संपर्क के मार्ग ही बह जाते हैं जिससे शहर को जोड़ने वाली सड़के तक टूट जाती है जिसके कारण शहरों से संपर्क टूट जाता है । हाल ही में अमरनाथ यात्रा की हादसे को देखते हुए यही जाना कि घाटी और पहाड़ों से भरे हुए क्षेत्र में कभी भी कब क्या हादसा हो जाए कुछ नहीं कह सकते कब यहां बारिश हो जाए और कब अनगिनत लोग इस खतरे से सामना करते हुए जूझते रहते हैं । इस प्राकृतिक आपदा को कोई भी नहीं जान सकता । यह प्राकृतिक आपदा एक ऐसी आपदा है जो बिना बताए खामोशी से न जाने कब दस्तक दे दे और ना जाने कब कितने ही लोगों को अपने मुख में समा कर काल का ग्रास बना दे हर साल घाटी क्षेत्र के अंतर्गत किसी न किसी शहर में पहाड़ों से मलवा आकर रास्ते पर गिर जाता है और कई बार तो घाटी क्षेत्रों में वज्र आघात हो जाता है । इन्हीं घाटी क्षेत्रों के अंतर्गत थी ऊंचे-ऊंचे पहाड़ और जंगल होने के कारण आतंकवादी यहीं पर अधिक पनपता है क्योंकि यहां आसानी से पहाड़ों की आड़ में या जंगलों की आड़ में छुपकर आतंकी देश की शांति को भंग करने का भरपूर प्रयास करते हैं परंतु हमारे देश के वीर सिपाही सदैव बैठे रहते हैं सीमा पर या घाटी इलाकों में जहां पर भी उन्हें खतरे का आभास होता है तुरंत ही इस खतरे का आभास महसूस करते हुए आतंकियों को मार गिराते हैं । सच जितनी मनोहारी रमणीय घाटी है जितना वह इंसानों को अपनी और आकर्षित करती हैं उतना ही अधिक इन घाटी शत्रु में भी खतरा पनप रहा होता है चाहे वह खतरा प्राकृतिक से संबंधित हो , या यह खतरा आतंक से संबंधित हो आज अमरनाथ हादसे के चलते मन विचलित हो उठा लोग अपने घरों से खुशी -खुशी इस यात्रा में भगवान भोले जी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए निकले थे परंतु भोले जी के यह भक्त हादसे का शिकार हुए । रमणीक स्थल की धरती में समा यह भक्तगण यही सोचते होंगे कि उन्होंने पुण्य कोई प्राप्त किया था तभी भोले की नगरी में उन्हें स्थान मिला परंतु प्राकृतिक आपदा के आगे हर कोई विवश है । प्रकृति इस सृष्टि में अपने हिसाब से कब कौन सा खेल खेले यह कोई नहीं जानता है ।
— वीना आडवाणी तन्वी