गीतिका/ग़ज़ल

आकर देखो प्यारे बापू

आकर  देखो प्यारे  बापू , हिंद किस  ओर  है जा  रहा।
बहुत तरक्की  की देश ने, अपना  अपनों  को  खा रहा।
देश  चलाने वाले यहाँ पर, कुर्सी  के  लिये मर  मिट रहे,
भूल कर आजादी को अब, है अपनी डफली बजा रहा।
जो पैदा नहीं  उस वक्त हुए, वो क्या जाने  इतिहास को,
उठाके उंगली उन नेताओं पे,राजनीति गंदी उछाल रहा।
दिया शांति उपदेश आप ने, अहिंसा का मार्ग दिखलाया,
सब  एक दूजे को नोच रहे हैं, है कैसा जमाना आ रहा।
बुरा न देखो न बुरा सुनो ,कभी किसी को बुरा मत बोलो,
तेरे  दिये  सिद्धांतों  के   है, यहाँ  उल्ट मानव  जा  रहा।
नंगे तन पर पहन के धोती, सदा  साधा जीवन जीया था,
बढ़ी भूख नेताओं की अब, है  मन  चाहे  वेतन  पा रहा।
बापू दो नसीहत नेताओ को, समझ सकें अपनी  मर्यादा,
गरीब जन हित की ही सोचें, क्यों इस देश को डूबा रहा।
— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995