/ जानते हो तुम ! /
जानते हो तुम !
” जय भीम ” क्या है?
भीम कौन हैं?
भीम कोई देवता नहीं
ममता – समता के मानव मूर्ति हैं
आधुनिक युग में
हाशिये समाज की अस्मिता हैं
दुनिया कहती है
वह युग रत्न हैं,
बाबा साहब हैं
ज्ञान का दीप जलाया था उसने
जीवन का पथ दिखाया था
‘मानव’ की गरिमा जाहिर कर
भाईचारे की भावना में
समाज को बाँधने आया था
निरंतर परिश्रम से
मेधावी थे वह इस जग के
उनका विचार एक धारा बनकर
आज बहने लगी साहित्य जगत में
जय भीम का अर्थ है;
बाबा साहब की विचारधारा को
तहे दिल से स्वीकार करना
उस धारा में मूढ़ परंपरा को धोना
समसमाज की स्थापना में
अपना कुछ योगदान देना
मानव समाज में मानव बनकर रह जाना
विश्व कल्याण की भावना में
नव युग की ओर आगे बढ़ना।