कविता

/ जानते हो तुम ! /

जानते हो तुम !
” जय भीम ” क्या है?
भीम कौन हैं?
भीम कोई देवता नहीं
ममता – समता के मानव मूर्ति हैं
आधुनिक युग में
हाशिये समाज की अस्मिता हैं
दुनिया कहती है
वह युग रत्न हैं,
बाबा साहब हैं
ज्ञान का दीप जलाया था उसने
जीवन का पथ दिखाया था
‘मानव’ की गरिमा जाहिर कर
भाईचारे की भावना में
समाज को बाँधने आया था
निरंतर परिश्रम से
मेधावी थे वह इस जग के
उनका विचार एक धारा बनकर
आज बहने लगी साहित्य जगत में
जय भीम का अर्थ है;
बाबा साहब की विचारधारा को
तहे दिल से स्वीकार करना
उस धारा में मूढ़ परंपरा को धोना
समसमाज की स्थापना में
अपना कुछ योगदान देना
मानव समाज में मानव बनकर रह जाना
विश्व कल्याण की भावना में
नव युग की ओर आगे बढ़ना।

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), सेट, पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।