स्त्रियां सतयुग के समय से हठी प्रवृति की होती आई हैं, लेकिन सच है कि उनके अनुशासन की परिसीमा तब भी सर्वोच्च थी, अब भी है, और सदा रहेगी।
जब सती को पता था कि शिव के मना करने पर पिता के घर उनका अपमान होगा, तब भी वो वहाँ गयीं और इस हठ के बदले यज्ञकुंड की अग्नि रास आई उन्हें।
और अपने सतीत्व के कारण करोड़ों वर्ष खुद के शरीर का सम्पूर्ण तेज लगा कर फिर से उन्होने शिव को पाया।
वैसे ही, सीता भी जानती थीं कि हिरण कभी सोने के नही होते, लेकिन हठ की वजह से उन्हें रावण द्वारा हरण से कलन्कृत होना पड़ा।
लेकिन अनुशासन भी इतना था कि एक तिनके को उन्होने अपनी ढाल बना दिया अपनी सुरक्षा के लिये।
एक स्त्री यदि वरण के संबंध में अपना प्रण सुनिश्चित कर ले, तो दुनिया की कितनी भी कठोर पीड़ा उसे अपने निर्णय पर अटल रहने से नही रोक सकती।
— रेखा घनश्याम गौड़