कविता

शान्ति की हुँकार

अमन शान्ति भाईचारे की
बात कीजिए अच्छा है
सिर्फ़ बात ही नहीं
शान्ति हित के कुछ काम भी कीजिए।
हवा हवाई चोंचलेबाजी के बजाय
शान्ति की नींव मजबूत कीजिए।
बहुत ढकोसले कर लिये हमनें
अब राष्ट्र, समाज हित के
सिर्फ काम कीजिए,
दोष मढ़ने की आदत हमारी बुरी है
अपने दोष देखने की आदत डाल लीजिये।
इसने उसनें क्या किया या कर रहा है
न इस पर विचार कीजिए,
आप क्या कर रहे हैं
इस पर पहले विचार कीजिए।
भाषण बाजी से शान्ति नहीं आने वाली
शान्ति के लिये खुद आगे बढ़िए
कमर कस कर डट जाइए
शान्ति पथ का निर्माण कीजिए,
आप अकेले क्या कर सकते हैं
कभी मत सोचिए,
बस हौसले जूनून संग
अपना कर्म कीजिए
शान्ति का झंडा बुलंद करिए।
सच मानिए आप अकेले नहीं होगे
हजारों, लाखों की भीड़
आपके पीछे खड़े होंगे,
आप बस शान्ति का एक वृक्ष तो रोपिए
विश्वास मानिए
शान्ति के बड़े वृक्ष चहुंओर
लहलहा रहे होंगे।
शान्ति की हुँकार भरकर तो देखिये
शान्ति, शान्ति और शान्ति के
विशाल समुंदर दिख रहे होंगे।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921