सेना की चाहत
मैं भारतीय सेना की आन,बान और शान हूं।
पर देश द्रोहियों के लिए मौत का सामान हूं।।
भारत माता की रक्षा का चाहत लिए कटिबद्ध हूं।
अपने प्राण न्यौछावर करता देश का वीर जवान हूं।।
जन्म देने वाली माँ से मैं भले ही दूर चला जाता हूँ।
दूसरे माँ के पास जा उनकी गोद में खेला करता हूं।।
माँ भारती के रोज चरण वन्दन पूजा किया करता हूं।
पर दुश्मनों के हृदय में त्रास भरने वाला ज्वाला हूं।।
दुश्मनों की चाल को विफल करता मैं वो प्रयास हूं।
हर भारतीयों के दिल में बसने वाला एक विश्वास हूं।।
सरहद पर खड़ा,अड़ा!निगहबान वो वीर जवान हूं।
सेना के बल पर चैन से रहता में वो हिन्दुस्तान हूं।।
देखो तुम रोना मत माँ!दूर नहीं मैं तेरे पास ही हूँ।
जानता हूँ अच्छी तरह मैं तेरे लिए बहुत खास हूँ।।
मेरी चाहत है!मैं लौटकर तेरे पास जरूर आऊंगा।
जिन्दा ना सही!तिरंगा में लिपटकर जरूर आऊंगा।।
— राजेन्द्र कुमार पाण्डेय “राज”