इंसान हैं तो
इंसान हैं हम आप तो
इंसानियत भी दिखना चाहिए,
गिरगिट की रंग बदलने से
हम सबको बचना चाहिए।
भेड़िए का खाल ओढ़कर
बेशर्म बनने से क्या मिलेगा?
अंदर से कुछ हैं,
भीतर से कुछ और से
कुछ हाथ नहीं आने वाला,
सिर्फ हाथ मलने के सिवा
कुछ हासिल भी नहीं होगा।
आपका लगता है कि आप
बुद्धिमान बहुत हैं,
पर सच तो यह है कि
आप से बड़ा बेवकूफ
दूजा नहीं मिलने वाला।
इंसान हो तो इंसानियत को
शर्मसार न कीजिए,
स्वार्थ की खातिर खुद को
बदनाम न कीजिए।
चाल चरित्र चेहरे में एकरूपता रखिये
इंसान हैं तो इंसान ही बने रहिए
इंसानियत को चौराहे पर न नंगा करिए,
इतनी भी समझ नहीं तो
खुद को इंसान मत कहिए
शर्मोहया है अगर जरा सा भी है
तो जाइये किसी खाई में कूद जाइए,
इंसान को शर्मिंदगी से बचाइये।