कविता

पर्यावरण

कठिन समय से आज निकल कर आओ ये प्रण करें
प्रिय पौधें  को थोड़ी थोड़ी दूरी पर लगायेंगे
वृक्ष को काटकर धरती को कैसा बंजर कर डाला
पशु वनस्पतियों को उनके घर से ही बाहर निकला
प्राणवायु जो देते प्रिय पौधें उनको
काटकर  विनाश किया
स्वच्छ हवा को दूषित कर मानव जाति पर संकट गहराया
बारिश के लिए धरती व्याकुल कहीं सूखा कहीं  अकाल है
प्रिय पौधें जो देते छांव हमको
आज सब व्यथित हुए है
घर घर जाकर चेतना का दिया जलाएगें
प्रिय पौधों को लगाकर उनका महत्व समझाएगें
वृक्ष होते जीवनदायनी उनको धरा पर सजाएगें
आज सब संकल्प करें वसुधा को हरा भरा बनाएगें
बारिश होगी जब खेत खलिहान लहरायेंगे
प्रिय पौधों को लगाकर वसुंधरा को सजायेंगे
पूरे संसार को खुशहाल बनाकर फिर पचरम
करोना महामारी को हम दूर भगाएंगे.
— पूनम गुप्ता

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश