घर घर लहराता तिरंगा
अमृत महोत्सव का पर्व आया
राष्ट्र ने घर घर तिरंगा फहराया
तिरंगा देश की आन बान शान है
राष्ट्रध्वज पे हमको अभिमान है
केसरिया जन जन को है भाया
हरा से धरा पे हरितिमा है छाया
अशोक चक्र है हमारी शान
अशोक स्तंभ है राष्ट्र की पहचान
गुलामी से मुक्ति हेतु शीश है कटाया
फॉसी के फन्दे को भी गले लगाया
शहादत दिया है भारत के नाम
तब पाई है हमने स्वतंत्र हिन्दुस्तान
आओं अमृत महोत्सव पर्व मनायें
घर घर छत पर तिरंगा लहरायें
जल थल नभ पे जीत का अरमान
नहीं झुकेगा कभी भारत है महान
जब तक पृथ्वी पर उदय होगा दिनमान
शान शौकत से अमर रहेगा हिन्दुस्तान
अखंड रहेगी माँ भारती की ऑचल
कोई ना छीन पायेगा हमारी धरातल
कभी राष्ट्र हित पर आँच ना आये
दुश्मन को सीमा पर से भगायें
गुस्ताखी गर जो करता मेरे साथ
उन्हें उतार देते हैं हम मौत के घाट
— उदय किशोर साह