मोटी छोटी प्यारी
वो मोटी मगर छोटी है
जरा सी बात पर
नाक भौं सिकोड़ने में पारंगत ही नहीं
पूरी तरह डाक्टर मास्टर है।
मजाल है कि हार मान ले
जिद्दी इतना कि खुद को
सबसे ऊपर समझती है।
घर में इस हिटलर से
मम्मी पापा तक डरते हैं,
तब हमारी औकात ही क्या है?
गुस्से में जब वो दिखती
दूर से ही थर थर काँपता हूँ।
क्या मजाल है मुंँह से
आवाज भी निकल सके
हिटलर के आगे हिम्मत किसकी
जो उसके गुस्से पर लगाम लगा सके?
मगर वह बहुत भावुक भी है
किसी को तकलीफ में नहीं देख सकती
दिन रात उसकी चिंता करती
उसके पास से हटना तक नहीं चाहती।
नींद ,भूख से जैसे बैर हो जाता है
जब तक वो पूरी तरह
ठीक नहीं हो जाता।
बस यही तो उसकी आदत
हम सबको बहुत प्यारी लगती है।
हिटलर हम सबके दिल में राज करती है
मोटी, छोटी हमारी खुशियों का संसार है।