कविता

मैंने पैसे को बदलते देखा है

किसी के कटोरे में खनकते देखा है
किसी के पाकिट में सिमटते देखा है
मैंने पैसे को बदलते देखा है
मज़दूर के पसीने में लिपटते देखा है
आमिर के तिजोरी में संवरते देखा है
मैंने पैसे को बदलते देखा है
दहेज़ की आग में जलते देखा है
सुहाग की सेज पे बिछते देखा है
मैंने पैसे को बदलते देखा है
पढाई की फीस बनते देखा है
अनपढ़ की टीस बनते देखा है
मैंने पैसे को बदलते देखा है
बच्चों के गुल्लक में मचलते देखा है
वृद्धा के सीढाने में छिपते देखा है
मैंने पैसे को बदलते देखा है
मजबूर की नुमाईश बनते देखा है
अय्याश की अय्याशी में उड़ते देखा है
मैंने पैसे को बदलते देखा है
घमंड की अंगड़ाई लेते देखा है
ईर्ष्या की आग में फूंकते देखा है
मैंने पैसे को बदलते देखा है
शरीफ की तनखाह में बदलते देखा है
बेईमान के पिछले दरवाज़े से घुसते देखा है
मैंने पैसे को बदलते देखा है
रिश्तों की आहुति बनते देखा है
दोस्तों की दग़ाबाज़ी बनते देखा है
मैंने पैसे को बदलते देखा है
बच्चों की किलकारी बनते देखा है
भ्रूण को कफ़न में लिपटते देखा है
मैंने पैसे को बदलते देखा है
हैसियत के दिखावे में जीते देखा है
औकात के दबाव में झुकते देखा है
मैंने पैसे को बदलते देखा है
भूखे की रोटी बनते देखा है
सजावट के लिए छप्पन भोग बनते देखा है
मैंने पैसे को बदलते देखा है

शिल्पी कुमारी

जन्म स्थान - पटना, बिहार जन्म तिथि - 05.02. 1990 शिक्षा - स्नातक :_ आर.पी.एस महिला कॉलेज, पटना मगध विश्वविद्यालय , बिहार । चित्र विषारद , प्राचीन कला केंद्र(चंडीगढ़) स्नातकोत्तर :- पटना विश्वविद्यालय, पटना, बिहार। उपलब्धियां _ प्रकाशित पुस्तक- अनंता (काव्य संग्रह) तथा विभिन्न राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित रचनाएं। संपर्क - डॉ. विवेकानन्द भारती, (वैज्ञानिक आईसीएआर-आरसीईआर, पटना), c/o किरण सिंह, क्षत्रिय रेजीडेंसी , 3rd फ्लोर, फ्लैट नंबर - 302, रोड नंबर - 6A, विजय नगर, रुकनपुरा, पटना- 800014 (बिहार) मोबाइल नंबर - 8709311857 ईमेल_ [email protected]