विश्वास की मीनार
टूटता चिटकता मन
काँपता बिखरता विश्वास
हौसले तोड़ने वाला आत्मविश्वास,
फिर भी मन मानने को तैयार नहीं है।
शायद बेहयाई इतनी प्रबल
कि सत्य से मुंँह मोड़ने को
न हो पा रहे तैयार।
कब तक उहापोह में जीते रहोगे
क्यों खुद को मिटाने की
आखिर जिद किए बैठे हो?
अरे यार! कितने बेशर्म हो
सब जानते, समझते हो
फिर अपने आप पर
आखिर वार क्यों सहते हो?
पर आप तो बड़े समझदार हैं
शायद धरती पर सबसे बुद्धिमान
बस केवल आप ही आप हैं।
हमें भी पता है आप जिद्दी हो
जीने का मोह नहीं है
मौत के इंतजार में हो,
अपने आप के दुश्मन बन गए हो।
भरोसे का मतलब तक पता नहीं है
अपने आपको खुद को भूल चुके हो,
धन्य हो आप बड़ी हिम्मत रखते हो,
सामने वाले के मन के भाव
जरा भी नहीं समझते हो,
बस!अविश्वास के बावजूद
विश्वास की मीनार बनने की
कोशिशें लगातार कर रहे हो,
इंसान से अब शायद पत्थर की
चट्टान बनते जा रहे हो।