खट्टा-मीठा: इदन्न मम
जब कोई आर्यसमाजी हवन करता है, तो आहुति डालते समय प्रायः ऐसा मंत्र बोलता है- ‘ओम् इन्द्राय स्वाहा। इदम् इन्द्राय, इदन्न मम।’ लगभग हर आहुति के साथ ‘इदन्न मम’ जोड़ा जाता है, जिससे त्याग की भावना बढ़ती है। लेकिन आजकल भारत के राजनीतिज्ञों में त्यागी-बैरागियों का एक वर्ग पैदा हुआ है, जो करोड़ों-अरबों की सम्पत्ति को, जो उनके घर में पायी जाती है, ‘इदन्न मम’ अर्थात् ‘यह मेरा नहीं है’ कहकर ठुकरा देते हैं।
एक समय तत्कालीन संचार मंत्री पं. सुखराम शर्मा के बिस्तर के नीचे करोड़ों के नोट पाये गये थे। उन नोटों के बारे में उन्होंने भी यही कहा था कि ये मेरे नहीं हैं और मुझे नहीं पता कि मेरे बिस्तर के नीचे ये नोट कहाँ से आ गये। त्याग की ऐसी मिसाल दुर्लभ होती है। यह बात अलग है कि न्यायालय ने उनके ‘त्याग’ पर विश्वास नहीं किया और उनको 5 साल की जेल काटनी पड़ी थी।
हाल ही में प. बंगाल की ममता बनर्जी सरकार के एक प्रमुख मंत्री पार्थो चटर्जी की गर्लफ्रेंड अर्पिता मुखर्जी के घर पर ईडी को 50 करोड़ की नकदी मिली है। उसके बारे में भी देवी जी का यही कहना है कि ये मेरे नहीं हैं और मुझे नहीं पता कि कहाँ से आये और यहाँ कौन रख गया। मानो उसका घर कोई धर्मशाला था कि कोई भी ऐरा-गैरा-नत्थू खैरा आकर अपनी गाढ़ी कमाई वहाँ छोड़ जाता था। वैसे अर्पिता की आधी बात सच है। वे नोट उसके नहीं हैं, यह तो ठीक है, लेकिन वह यह नहीं बताती कि यह रकम उनके यार पार्थो चटर्जी ने वहाँ छिपाने के लिए रखवायी थी।
वैसे यह भी आश्चर्य की बात है कि पार्थो ने किसी बैंक में या अपने घर में बीवी के पास रकम रखवाने के बजाय अपनी गर्लफ्रेंड के घर में रखवाना अधिक सुरक्षित समझा। हालांकि पार्थो चटर्जी का भी यही कहना है कि ये रुपये मेरे नहीं हैं, पर वे भी यह नहीं बताते कि किसके हैं। पर सब जानते हैं कि यह सारा काला धन है, जो अनैतिक उपायों से एकत्र किया गया है। इस धन को उनकी पार्टी की ओर से आगामी विधानसभा चुनावों में खर्च किया जाना था।
फिलहाल स्थिति यह है कि कोई भी स्वयं को उस धन का मालिक नहीं बता रहा है। सब अभी भी यही कह रहे हैं कि यह मेरा नहीं है। इदन्न मम। त्याग का ऐसा उदाहरण पूरे संसार में नहीं मिलेगा।
— बीजू ब्रजवासी
श्रावण शु. 8, सं. 2079 वि. (5 अगस्त 2022)