गीत/नवगीत

मैं भारत हूँ

हिमवान मेरे सिर का गौरव
नित सिंधु चरण पखारे है
उत्तर से दक्षिण तक देखो
कैसे प्रकृति मुझे सँवारे है
अपनी सुंदरता पर मैं
स्वयं स्वयं इतराता हूँ
मैं भारत हूँ मैं तुमको ये बतलाता हूँ
मीरा और शिव से लोग यहाँ
जो मुस्काते विष पी जाते
वो कर्ण हो या राजा बलि
जो सब न्योछावर कर जाते
इतनी इच्छाशक्ति वाले
मैं जिनकी कथा सुनाता हूँ
मैं भारत हूँ मैं तुमको ये बतलाता हूँ
मानव बन कर जग में आये
जो राम और कृष्ण से ईश्वर
सिखलाया जगती को जी कर
कर्म चिरन्तन काया नश्वर
कष्ट अत्याज्य समझते हो
इनका जीवन चरित बताता हूँ
मैं भारत हूँ मैं तुमको ये बतलाता हूँ
जौहर वाली पद्मिनी हो या
सती अनसूया या पन्नाधाय
वीरांगनाएं वीरों से वीर
इनको कैसे भूला जाए
इनके बलिदानों के गीत
मैं निसदिन गाता जाता हूँ
मैं भारत हूँ मैं तुमको ये बतलाता हूँ
परिदृश्य बदलता दिखता है
अब आज के युग में देखो तो
इतिहास के काले पन्नों से
कुछ अनुभव लो कुछ सीखो तो
नव पीढ़ी से हैं आशाएं
आशान्वित हो हो जाता हूँ
मैं भारत हूँ मैं तुमको ये बतलाता हूँ
— प्रियंका अग्निहोत्री “गीत”

प्रियंका अग्निहोत्री 'गीत'

पुत्री श्रीमती पुष्पा अवस्थी