शिव शंकर
ओ शिव शंकर भोले भंडारी
सुन लो मेरी अर्जी त्रिशूलधारी
दरिया में भटक गई जीवन नैय्या
पार लगाना बन कर खैवैय्या
चन्द्रकला तेरे मष्तक पे राजे
डम डम डमरू तेरे दर पे बाजे
जटा से बहती है गंगाजल की धारा
कर दे जीवन मेरा जग में सॅवारा
विषपान कर के तुँने जग को बचाया
नीलकठ जगत में नाम तुँने है पाया
मृगछाला तन पर है धारण कर प्यारा
सर्पों की माला गले में है फुफकारा
भांग धतुरा का भोजन तुमको है प्यारा
नन्दी की सवारी में लगता है न्यारा
जब चलती तेरी शिव की बराती
भूत प्रेत बन जाता है तेरा साथी
माँ गौरी ने गले में पहनाई जयमाला
कार्तिक गणेश जैसा दो रत्न है पाला
शिव तांडव जब जब तुँ करता
चारों दिशा में शब्द है गूँज जाता
शिवलिंग तेरा अराध्य का प्रतीक है
पत्थर में भी तेरा प्रीत बड़ा नीक है
सागर सा ह्रदय तेरा है कृपानिधाना
भक्तों की सुना है सुख दुःख नाना
गंगाजल जो नर तुम पे चढ़ावे
सात जन्मों का पाप क्षण में धुल जावै
हिमालय पर्वत पे तेरा है पावन वास
माँ पार्वती तेरा होती है तब संग साथ
हे शिवशंकर तेरा बाबा नगरी बना धाम
स्वीकार कर लो बाबा उदय का प्रणाम
जब जब भक्तों ने तुमको है पुकारा
बढ़कर जग में तुँने दिया है उन्हें सहारा
— उदय किशोर साह