मेरा सर्वस्व अर्पित
सांस-सांस समर्पित,
मेरे प्राण समर्पित ।
है निवेदन !
करो स्वीकार
रक्त का कण -कण ।
न झुकने दूंगा भाल,
मैं बनूंगा निर्बलों की ढाल ।
हे भारत माता !
मेरा तन समर्पित,
मेरा मन समर्पित ।
हरगिज न डरूं,
कर्त्तव्यपथ पर निरंतर चलूं ।
है युद्ध मेरा !
आस्तीन में छिपे सांपों से
दूं फन इनका कुचल,
मैं हो जाऊं इतना कुशल ?
मेरे देश की धरती,
तुझ पर यह शीश समर्पित,
मेरा सर्वस्व अर्पित ।
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा