कविता

मेरा सर्वस्व अर्पित

सांस-सांस समर्पित,
मेरे प्राण समर्पित ।
है निवेदन !
करो स्वीकार
रक्त का कण -कण ।
न झुकने दूंगा भाल,
मैं बनूंगा निर्बलों की ढाल ।
हे भारत माता !
मेरा तन समर्पित,
मेरा मन समर्पित ।
हरगिज न डरूं,
कर्त्तव्यपथ पर निरंतर चलूं ।
है युद्ध मेरा !
आस्तीन में छिपे सांपों से
दूं फन इनका कुचल,
मैं हो जाऊं इतना कुशल ?
मेरे देश की धरती,
तुझ पर यह शीश समर्पित,
मेरा सर्वस्व अर्पित ।
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111