गीतिका/ग़ज़ल

कमाल कर जाती है

किस्मत कुछ ऐसा कमाल कर जाती है
खुशी मुझको छूकर गुजर जाती है।
चाहे कितना भी तेज दौड़ ले
सफलता कुछ कदम दूर रह जाती है।
इस झूठ फरेब से भरी दुनिया में
सच्चाई कहीं कोने में पड़ी रह जाती है।
दिखावे से भरी इस दुनिया में
दिल की बातें दिल में ही रह जाती है।
दोस्ती वफादारी की कहानी तो
बस किताबों में ही रह जाती है।
चाहे कितना भी भरोसा कर लें किसी पर
एक-न-एक दिन चकनाचूर हो जाती है।
जिंदगी की ऊंची -नीची राहों पर
बस तन्हाई ही संग रह जाती है।
— विभा कुमारी ‘नीरजा’

*विभा कुमारी 'नीरजा'

शिक्षा-हिन्दी में एम ए रुचि-पेन्टिग एवम् पाक-कला वतर्मान निवास-#४७६सेक्टर १५a नोएडा U.P