अमृत – उत्सव देश का
अमृत – उत्सव देश का,भारत माँ के नाम।
दे दी हमें स्वतंत्रता, उनको नमन प्रणाम।।
वे बलिदानी वीर थे, दिया त्याग परिवार,
बलिवेदी पर होमते,अपने प्राण तमाम।
प्रणय छोड़ ममता तजी, मात-पिता का नेह,
होली, दीवाली नहीं, सुबह न देखी शाम।
आजादी की वायु में,लेते हैं हम साँस,
हमें नहीं अनुमान है, अति वीरों के काम।
अपना ये कर्तव्य है, राखें सदा सँभाल,
आजादी हमको मिली,करें नहीं विश्राम।
एक देश की एक ही, ध्वजा तिरंगा एक,
लहराए नित शान से,वर्षा हो या घाम।
‘शुभम्’काव्य-रचना करें, भारत का गुणगान,
गाथाएँ अनगिन कहें, दिव्य ज्योति उर धाम।
— डॉ. भगवत स्वरूप ‘शुभम्’