गीत/नवगीत

तिरंगा

आजादी का, अमृत महोत्सव
घर-घर खुशियां, हर-घर उत्सव
जन-जन प्रसन्न, तन-मन है चंगा
घर-घर तिरंगा, हर घर तिरंगा।।

तीन दिनों का है, यह पर्व हमारा
शान से फहराया, तिरंगा प्यारा
न कोई विवाद, न कोई अडंगा
घर- घर तिरंगा, हर घर तिरंगा।।

शान न इसकी, कम होने पाए
इसकी रक्षा में, तन-मन लुटाएं
हस-हस के पहना ,फांसी का फंदा
घर-घर तिरंगा, हर घर तिरंगा।।

पिचहतर वर्षों की, हुई आजादी
अनेकों क्षेत्रों में, कर ली तरक्की
दुश्मन अब जल्दी, लेते न पंगा
घर-घर तिरंगा, हर घर तिरंगा।।

जब-जब हमारा, तिरंगा लहराता
जोश भारतीयों का, बढ़ता जाता
बर्फीली चोटी हों,या मार्ग बेढंगा
घर-घर तिरंगा, हर घर तिरंगा ।।

तिरंगा सदा अपना , ऊंचा लहराए
निगाहें दुश्मन की, छूने न पाएं
विश्व में गूंजेगा, भारत का डंका
घर-घर तिरंगा, हर घर तिरंगा ।।

जन-जन प्रसन्न, तन- मन है चंगा
घर- घर तिरंगा, हर घर तिरंगा
घर- घर तिरंगा, हर घर तिरंगा।।

— नवल अग्रवाल

नवल किशोर अग्रवाल

इलाहाबाद बैंक से अवकाश प्राप्त पलावा, मुम्बई