गीत/नवगीत

भारत माता का वंदन

भारत माता के वंदन में उपवन महक रहे।
कलरव करतीं सरिताएँ, नभ पंछी चहक रहे।।
सूरज ने माथे मल दी कुमकुम केसर रोली।
सँवार दी वसंत ने सुरभित सुमनों से डोली।
रत्न भेंट कर सागर नित माँ के चरण पखारे,
करे अर्चना हिमवान, धन-धान्य से भर झोली।
अभिनंदन को आतुर पलाश-मन, वन दहक रहे।
कोटि कंठ गा रहे गीत समरसता राग भरे।
शुभ सरिता रहे प्रवाहित उर समता आग भरे।
हम रोपें खुशियों के पौधे माँ के आँचल में,
देह-गेह में सुमन खिलें सुवासित पाग धरे।
रोकें उन कदमों को, हो अमर्यादित बहक रहे।।
भारत माता के वंदन में उपवन महक रहे।।
अमृत काल आजादी का खुशियों के दीप जले।
नमन वीर शहीदों को, गौरव गाथा प्रीत पले।
फाँसी के फंदे चूमे, झूम गये जो हँसकर,
वे तारे बन चमक रहे, उर के मनमीत भले।
बलिदान त्याग तप से उनके, तन-मन लहक रहे।।
भारत माता के वंदन में उपवन महक रहे।।

 — प्रमोद दीक्षित मलय

*प्रमोद दीक्षित 'मलय'

सम्प्रति:- ब्लाॅक संसाधन केन्द्र नरैनी, बांदा में सह-समन्वयक (हिन्दी) पद पर कार्यरत। प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक बदलावों, आनन्ददायी शिक्षण एवं नवाचारी मुद्दों पर सतत् लेखन एवं प्रयोग । संस्थापक - ‘शैक्षिक संवाद मंच’ (शिक्षकों का राज्य स्तरीय रचनात्मक स्वैच्छिक मैत्री समूह)। सम्पर्क:- 79/18, शास्त्री नगर, अतर्रा - 210201, जिला - बांदा, उ. प्र.। मोबा. - 9452085234 ईमेल - [email protected]