कविता

काश

काश ,अगर ऐसा होता
जिंदगी होती एक खुली किताब
सभी पढ़ लेते अपने भविष्य का हिसाब
कुछ नापसंद पन्नों को फांड देते कुछ अपनी पसंद के पन्नों को जोड़ देते
पर उपर वाले ने ऐसी किताब लिखी जरूर
पर उसे हमसे रखा दूर
वो पन्ने पढने को देता है हमें जरूर
वे पन्ने होते है अपने कर्मों के फल
जिसमें ईशारा रहता है तू किस रास्ते पे चल
उसे पढ़ कुछ लोग अपने को करते है आबाद,
पर कुछ नासमझ लोग जो न समझते है उनकी जिंदगी हो जाती है बर्बाद
तो आओ हम अपने जीवन के समय को करें ऐसे खर्च,
ताकि ऐसे किताबों में अपने जीवन के परिणाम हो सकारात्मक दर्ज ।
— मृदुल शरण