दोहे जीवन के
अपना मतलब है परम,बाकी सब बेकार
सच्ची वाली मित्रता ,रोज रही हैं हार।
साज नही वो सोहता,जिसके टूटे तार .
रिश्ते वो होते सही ,जिसमे होता प्यार।
हितकारी होता नही ,झगडा कलह विवाद ,
इनसे बचना मीत ये,होते दुख अनुवाद।
दुनिया धोखा है सनम,और जगत भ्रमजाल,
दुख-सुख के जंजाल में .जीवन एक सवाल।
ख़ुशी फूल जब भी खिलें,साथ रहे दुख शूल,
ये जीवन का सार है ,इसे न जाना भूल।
— महेंद्र कुमार वर्मा