गीतिका – पावन पर्व
फिर आज झूम यह पर्व सभी यहाँ मनाते।
कितना लगे उन्हें पावन आज वह बताते।।1।।
सबके लिए समर्पित परहित जिए सदा ही।
वह नेक मार्ग चलते सबको यही सिखाते।।2।।
इस देश का जगत में सिर हो उठा सदा ही।
गरिमा बढे सदा ही इसको रहें बढ़ाते ।।3।।
घर घर फहर रहा है हर हाथ में तिरंगा ।
जगमग लगे सभी घर सब लोग हैं सजाते ।।4।।
सब देश का करें हैं यशगान हो मुदित मन।
जयगान देश का यह मन भाव नव जगाते ।।5।।
मन कामना हमारी यह साधना हमारी।
यह देश उच्च सबसे हम सब रहें बनाते ।।6।।
मिलकर कभी चले थे पथ कंटकों भरे वह।
कब हम भला रहे थे पद घाव को गिनाते।।7।।
फहरा रहा तिरंगा जयघोष देश करता ।।
सब हैं मुदित लगे जन मन भाव नव समाते।।8।।
— डाॅ सरला सिंह “स्निग्धा”