कविता

मरने की खबर

कल एक महिला ने
अपने साथ हुए वाकये का
सुनाते हुए बताया
कि आज सुबह सुबह मेरी ननद ने
रोते हुए मुझे फोन किया
और व्यथित स्वर में पूछा
कैसे मरा भाई?
मैंने बड़ी मासूमियत से कहा
नन्द जी! ये सत्य नहीं है
अभी थोड़ी देर पहले तक
आपका भाई अच्छा भला चंगा
आपके घर के लिए निकला है,
शायद आपके घर पर ही
मरने का विचार किया है ।
ननद जी! आप परेशान मत हो
बस आप इतना करना
आपका भाई जब भी मरे आपके घर
तो मरने की खबर मुझे भी दे देना,
ताकि मैं औरों को भी बता सकूं
अंतिम संस्कार का प्रबंध करना सकूं,
सच उन्हें मरने की बड़ी जल्दी है
शायद उनमें ही कुछ कमी है
पर उस जलील को मैं कितना समझाऊं?
उसे तो कुछ समझ नहीं आता
मरना है तो मर जाय
भला रोकता कौन है ?
सोचती हूं मैं ही जहर दे दूं
पर दया आती है बेचारे पर
मरने की बात रोज करता है
पर मरता नहीं सिर्फ धमकियां देता है,
पूछती भी हूं कि कब मरेगा
या मैं ही तुझे मार डालूँ
तेरी ख्वाहिश पूरी कर दूँ?
पर बेचारा बड़ा भोला है
थोड़ा बड़बोला है
अभी तक तो भला चंगा घूम रहा है
पर मरेगा कब ये बात मौन होकर बता रहा है।
आप रोना धोना बंद करो
भाई के साथ भाभी की मौत का इंतजार करो,
वरना आपके आँसुओं का भंडार खाली हो जाएगा,
सच में जब हम मरेंगे तब
आपको रोना भला कैसे आयेगा,
आप रोयेंगी नहीं तो आपका भाई
भला मरा कैसे रह पायेगा
फिर से जिंदा नहीं हो जायेगा?
मुझसे छुटकारा जो पाने का
विकल्प जो पा जाएगा।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921