दिल पागल
ख़ुद पे कभी हँसना आया
खुद पे कभी रोना आया
क्या पागलपन है इश्क में जानम
अब हमें भी ये समझना आया
घूंघट में तेरी नूर की दीदार करूँ
या आँखों से ऑंखों में प्यार करूँ
होठो पे लगा है चुप्पी का ताला
मैं कैसे अपनी प्यार का इजहार करूँ
खुल जाये गर लव के बंद दरवाजे
अपनी मोहब्बत की इजहार करूँ
ना बैठ मौन मेरे दिल के आगे
मैं कैसे तुमसे प्यार का इकरार करूँ
— उदय किशोर साह