कविता

यादें

बैठ कुछ पल साथ
बीता बचपन किया याद
वो खट्टी इमली
और धूप चिलचिली
लिये हाथों में हाथ
बैठ कुछ पल साथ
वो मास्टर जी का डंडा
मिला था टेस्ट में अंडा
हुआ मीठा एहसास
बैठ कुछ पल साथ
बचपन की आंख-मिचौली
खुशियों से भरी थी झोली
सबकुछ था बहुत खास
बैठ कुछ पल साथ
दीदी की वो जोर से डांटना
सांझ होते ही घर से भागना
ढूंढा फिर वो बचपन आज
बैठ कुछ पल साथ
— प्रियंका गुप्ता पथिक

प्रियंका गुप्ता पथिक

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