कविता – सावन ने श्रृंगार किया
धरती ने हरितिमा से प्यार किया
सावन ने यौवन का श्रृंगार किया
पर्वत से पूरवाई है टकराई
वर्षा ने स्वागत में फुहार बरसाई
चारों ओर छाई है हरियाली
सावन ने दी है को खुशियाली
सतरंगी किरण ताज पहनाई
फिजां की चेहरा है मुस्कुराई
भरपूरन हो रही है वर्षा
ताल तलैया का मन हर्षा
खुशबू की चमन में बहार आई
मौसम ने ली है अब अंगड़ाई
मेघों का परिजन नभ पे आया
काली काली बदरा गगन छाया
घनघोर घटायें संग संग आया
अंधेरा चारों ओर है छाया
बदरा देख मयूर मस्कुराई
ओढ़ नई चुनरी वो है आई
तन मन हर्षित हो थिरक उठा
नर्तक का मन यह देख छटा
पानी ने धरा पर कहर ढाई
बह रहे हैं गॉव जवार साईं
क्या प्रलय का ये रूप है आया
प्रकृति ने क्यूं तांडव मचाया
— उदय किशोर साह