गजल
टूटा हुआ दिल रख दिया हमने निकाल के
यादो में नही रखना उसे अब सम्भाल के
वो ड़़र गया था कद हमारा बढ़़ता देख के
धक्का दिया हम हो गये शिकार चाल के
बदनाम कर रहा है झूठ बोल बोल के
रख दी है सारी कालिख दिल की निकाल के
अब फैंसला करना है हारेंगे या जीतेगें
देखा है सिक्का भाग्य का हमने उछाल के
दस्तार के लिए जो जान देते आज भी
देखे हैं ऐसे लोग वो हमने कमाल के
धीमा जहर दिया और हमें कत्ल कर दिया
कातिल ने चली चाल बड़ी देखभाल के
धीमें कत्ल का कोई भी गवाह नही था
वो बच गया मेरे लहू में मोत ड़ाल के
घर जले, परिवार जले रह गया धुंआ
देखे हैं दाग बदनुमा हमने मशाल के
वो बेवजह,बिन बात ही फसाद कर रहे
नेता ही जिम्मेदार हैं इस सब बवाल के
— शालिनी शर्मा