महक उठेगी गली-गली
गांव-गांव में, शहर-शहर में, साक्षरता की लहर चली,
शिक्षा की सुरभित लहरों से, महक उठेगी गली-गली
साक्षरता से सबके मन के, कोनों को चमकाना है
अक्षर-ज्ञान से बाल-युवा-प्रौढ़ों को सुख पहुंचाना है
मन-मशाल को कर में लेकर ज्ञान-दीप की जोत जली
शिक्षा की सुरभित लहरों से, महक उठेगी गली-गली
अब तक हम चाहे सोए थे, अक्षर हमें जगाता है
सुबह का भूला शाम को आए, भूला नहीं कहाता है
जो भूले हैं उन्हें दिखाएं, साक्षरता की राह भली
शिक्षा की सुरभित लहरों से, महक उठेगी गली-गली
जीवन का अनमोल ख़ज़ाना, यों ही नहीं लुटाना है
पढ़-लिखकर कुछ अनपढ़ जन को साक्षर हमें बनाना है
शिक्षा के गगनदीप से जगमग हो हर डगर-गली
शिक्षा की सुरभित लहरों से, महक उठेगी गली-गली
सब साक्षर हों तभी देश का मस्तक ऊंचा रह सकता
साक्षर पैनी ज्ञान-शिला पर देश की किस्मत गढ़ सकता
भावों की सुंदरता लेकर शक्ति पाने नाव चली
शिक्षा की सुरभित लहरों से, महक उठेगी गली-गली