मेरी पतंग
फर-फर उड़ती मेरी पतंग,
उड़ते-उड़ते कहे पतंग,
ऊंचा उड़ना लेकिन डोरी,
प्रभु को थमाना कहे पतंग.
कभी गिरती कभी काटी जाती,
फिर भी कभी न रोती पतंग,
उड़ना-पड़ना, उठना-गिरना,
जीवन-रीत है कहे पतंग.
फर-फर उड़ती मेरी पतंग,
उड़ते-उड़ते कहे पतंग,
ऊंचा उड़ना लेकिन डोरी,
प्रभु को थमाना कहे पतंग.
कभी गिरती कभी काटी जाती,
फिर भी कभी न रोती पतंग,
उड़ना-पड़ना, उठना-गिरना,
जीवन-रीत है कहे पतंग.