लघुकथा भरोसा *अंजु गुप्ता 11/09/2022 मां को वृद्धाश्रम में छोड़, जैसे ही बहू बेटा जाने को मुड़े, छन की आवाज़ से कुछ टूटने की आवाज़ आई। “अब क्या टूटा?” बहू गुस्से से बोली। “भरोसा!” नम आंखों से मां बोली। अंजु गुप्ता “अक्षरा”