द्रवित मन की पुकार
हे मेरे प्रभु ! दो मुझे ऐसी शक्ति
सत्य की राह पर चल सकूंँ,
दीन दु :खियों की सेवा कर सकूंँ,
मृत आत्मा में भी ! जिजीविषा भर सकूंँ,
हे मेरे प्रभु ! दो मुझे ऐसी शक्ति।
मानवता का मूल मंत्र
जग में गूंँजे ,
हे मेरे प्रभु ! दो मुझे ऐसी शक्ति।
करुणा की जलधारा , त्याग की भाव धारा,
वाणी की अमृतधारा , नि:सृत सबमें,
हे मेरे प्रभु ! दो मुझे ऐसी शक्ति।
अचेतन में चेतना की दीप प्रज्वलित कर सकूंँ
हे मेरे प्रभु ! दो मुझे ऐसी शक्ति।
झंकृत उद्गार मन की यही पुकार
हे मेरे प्रभु ! मेरी प्रार्थना को सुन लो।
— चेतनाप्रकाश चितेरी